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नसीमा ने कहा कि बिहार के 38 जिलों में रेड लाइट एरिया है। कहीं बड़े तो कहीं छोटे रूप में। वह रेड लाइट एरिया की बेटी है। यहां जन्म ली पढी और पिछले दो दशक से रेड लाइट एरिया के लोगों को संवैधानिक अधिकार दिलाने, यहां की बेटियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए पहल कर रही है। इसी कड़ी में वह परचम संगठन के माध्यम से जगह-जगह पर जागरुकता अभियान कर लोगों को शिक्षा और अपने अधिकार के प्रति जागरूक कर रही है।
इसके साथ यहां के बच्चों को लिखने और अपनी बातों को रखने के लिए बेहतर मौका मिले इसके लिए जुगनू हस्तलिखित पत्रिका निकालती है। अब आने वाले दिनों में मानव अधिकार आयोग के फोरम पर भी यहां की महिलाओं और बच्चों की होने वाली परेशानी प्रमुखता से रखी जाएगी। सदस्य बनाए जाने पर रेड लाइट एरिया की महिलाओं और बच्चों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
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