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रिपोर्ट-अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर. किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली नीलगाय को बिहार सरकार द्वारा शूट करने के आदेश के तहत मुजफ्फरपुर में बुधवार को जमालाबाद गांव में नीलगाय को मारा गया. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नीलगाय के मांस का क्या किया गया. नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि नीलगाय को दफना दिया गया. दूसरी ओर नीलगाय को मारने की घटना का अब एनिमल एक्टिविस्ट विरोध भी करने लगे हैं. इस विरोध की गूंज मेनका गांधी तक पहुंच चुकी है. फिलहाल इस मामले में प्रशासन ने भी चुप्पी साध रखी है.
दरअसल मामले की जानकारी होने के बाद घटना से मर्माहत एनिमल एक्टिविस्ट अलका अपर्णा ने इसकी जानकारी मुजफ्फरपुर में बेजुबानों की संस्था के लक्ष्य मोहन को दी. लक्ष्य मोहन और अलका अपर्णा ने इस घटना की जानकारी बाद में सांसद और जानवरों के अधिकार के लिए काम करने वाली मेनका गांधी को दी. इसके बाद मेनका गांधी ने इस विषय पर संबंधित अधिकारी से बात कर समाधान निकालने का आश्वासन दिया. अलका अपर्णा और लक्ष्य मोहन की शिकायत के आधार पर मेनका गांधी की संस्था पीपल फॉर एनिमल (पीएफए) ने मुजफ्फरपुर में नीलगाय को मारने की घटना का जिक्र अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी किया.
सामाजिक कार्यकर्ता कर रहे विरोध
जानवरों के अधिकार के लिए लड़ने वाले लक्ष्य मोहन बताते हैं कि पहले भी उन्होंने नीलगाय को गोली मारने की घटना का विरोध किया था. लक्ष्य बताते हैं कि इस वक्त विरोध के कारण शूटिंग रोक दिया गया था, जिसे इस साल फिर से जारी कर दिया गया है. लक्ष्य मोहन की मानें तो मारे गए नीलगाय को गांव में ही दफन किया जा रहा है. कई जगहों पर नीलगाय को मारने के बाद उसके बॉडी को गाड़ी से ले जाया जाता है, लेकिन मुजफ्फरपुर में मारे गए नीलगायों को यहीं मिट्टी में दफन किया जा रहा है. आगे लक्ष्य कहते हैं कि नीलगायों को जान से मारना किसानों की समस्या का समाधान नहीं है. लक्ष्य और अलका अपर्णा का कहना है कि इन जानवरों को पकड़ कर जंगल में छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इन्हें भी जीने का अधिकार है.
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टैग: मेनका गांधी, Muzaffarpur news
पहले प्रकाशित : 20 जनवरी, 2023, 10:23 पूर्वाह्न IST
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