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ऐसे सुर्खियों में आईं बेबी कुमारी, बन गईं बीजेपी की बड़ी नेता
बिहार की सियासत में बेबी कुमारी का नाम उस समय चर्चा में आया जब उन्होंने सूबे में बीजेपी के सदस्यता अभियान में सबसे अधिक संख्या में बोचंहा विधानसभा क्षेत्र से लोगों को पार्टी का सदस्य बनाया। सबसे अधिक सदस्य बनाने पर उन्हें स्मृति ईरानी की ओर से सम्मानित भी किया गया। इससे पहले उन्हें महिला मोर्चा कार्यसमिति के सदस्य के तौर पर काम करने का मौका भी मिला। अभी वो बिहार बीजेपी की महामंत्री हैं, इससे पहले पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।
ग्रेजुएट हैं बेबी कुमारी, शादी के बाद भी राजनीति में रही हैं सक्रिय
बात की जाए बेबी कुमारी की शिक्षा की तो उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा 1991 में तुर्की छाजन के मोहनी हाईस्कूल से पास की। इसके बाद 1993 में उन्होंने महिला शिल्प कला भवन से 12वीं का एग्जाम दिया इसी दौरान 1993 में उनका विवाह उमेश प्रसाद से हुआ, जो एक बैंक कर्मी थे। शादी के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उन्होंने महिला शिल्प कला भवन महाविद्यालय से 1996 में साइकोलॉजी ऑनर्स से ग्रेजुएशन किया।
एबीवीपी के साथ जुड़कर सोशल वर्क किया
देवेंद्र चौधरी और जैलसी देवी की बेटी बेबी कुमारी अपने 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। बेबी कुमारी छात्र जीवन से ही एबीवीपी के साथ जुड़कर सोशल वर्क करने लगी थीं जो शादी के बाद भी जारी रहा। राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं आने के बावजूद उन्होंने राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया। उन्हें एक बेटा सौरभ चंद्रन और एक बेटी सुषमा सालवी हैं। बेटा-बेटी दोनों अभी पढ़ाई कर रहे हैं।
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2015 में 9 बार के MLA रहे दिग्गज नेता रमई राम को हराया
बेबी कुमारी को सीटिंग विधायक होने के बाद भी 2020 के चुनाव में जब टिकट नहीं मिला और बोचहां सीट वीआईपी के कोटे में चली गई तो पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री का पद दिया। बेबी कुमारी ने 2015 के चुनाव में 9 दफा से बोचहां का प्रतिनिधित्व कर रहे रमई राम को 25 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। वो भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर हराया था। 2020 चुनाव में वीआईपी से मुसाफिर पासवान यहां से विधायक बने, उनके निधन के बाद बोचंहा विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा। जिसमें बेबी कुमारी अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। यही नहीं उनकी दावेदारी के समर्थन में बीजेपी के कई बड़े नेता भी शामिल हैं।
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