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ऐसा नहीं है कि ये मामला वहां के डॉक्टर या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से छुपा हुआ है। मानवता की दृष्टिकोण से ये एक हद तक सही नजर आता है। लेकिन, सवाल उठता है कि दवा दुकानदार अगर डॉक्टर बनकर स्टिचिंग और मरहम पट्टी करने लगे तो फिर स्वास्थ्यकर्मियों की क्या जरूरत है। वैसे भी PHC में स्वास्थ्यकर्मी नदारद हैं। उनकी संख्या भी कम है और ड्यूटी का समय पूरा होते ही घर चले जाते हैं।
यानी इमरजेंसी सेवा के लिए दवा दुकानदार ही मौजूद रहते हैं। कहीं न कहीं ये मरीजों की जान के साथ स्वास्थ्य विभाग द्वारा खिलवाड़ किया जाने का मामला प्रतीत हो रहा है। सदर हॉस्पिटल के ACMO डॉ. एसपी सिंह कहते हैं कि मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कर लेते हैं। क्या मामला है देखते हैं। जो उचित होगा, कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ वे ये भी कहते हैं कि स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है। कई जगहों पर कमी है। इसे पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है।
बता दें कि अभी हाल ही में सदर हॉस्पिटल में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया है। जिसमे हॉस्पिटल के सफाई कर्मी द्वारा मरीज को पानी की बोतल चढ़ाते पाया गया था। मामला संज्ञान में आने के बाद तत्कलीन CS ने उपाधीक्षक से रिपोर्ट मांगी थी और उसे तत्काल हटा दिया गया था।
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