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रिपोर्ट-अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर. बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में इन दिनों अगर आप लोगों को मास्क लगाकर सड़कों पर घूमते देखें तो आप यह समझने की भूल ना करें कि यहां कोरोना से बचने के लिए लोग ऐसा कर रहे हैं. सच्चाई यह है कि मुजफ्फरपुर की हवा आजकल इतनी प्रदूषित हो गई है कि यह दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों के समकक्ष खड़ा हो गया है.बढ़ता प्रदूषण स्तर बेहद खतरनाक और जानलेवा हो गया है. मुजफ्फरपुर के शहरों पर धूल के गुबार और धुंध अब आम हो गई है. बड़े तो बड़े, अब छोटे बच्चों में भी सांस लेने की तकलीफ बढ़ गई है. प्रशासन की तमाम तैयारियों का असर भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने में नाकाफी साबित हो रहा है.
मुजफ्फरपुर शहर के एमआईटी कॉलेज के गेट पर एयर क्वालिटी इंडेक्स का डिजिटल स्क्रीन लगा हुआ है. शहर आने वाले लोग कमोवेश एक बार उस इलाके से होकर यह जानने की कोशिश करते रहते हैं कि यहां का इंडेक्स क्या है. जैसे ही उन्हें यहां 300, 350, 380, 400 का इंडेक्स दिखाई देता है, उनकी रूह कांप उठती है.बीते दिन मुजफ्फरपुर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 380 रहा, जो बेहद खराब हालत है. मुजफ्फरपुर शहर अब देश के सबसे प्रदूषित शहरों के रैंकिंग में टॉप-10 में आकर खड़ा हो गया है.
अस्थमा के शिकार हो रहे छोटे बच्चे
जानकारों की माने तो मुजफ्फरपुर शहर में पिछले 1 माह से एयर क्वालिटी इंडेक्स की स्थिति खराब होते जा रही है.प्रदूषण का बढ़ता स्तर लोगों को लिए समस्या पैदा कर रहा है. मुजफ्फरपुर के अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ की परेशानी के मरीज बढ़ने लगे हैं. मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज के पीकू वार्ड में बीते दिनों कई शिशुओं में भी सांस लेने की समस्या देखी गई. शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने भी बताया कि कई बच्चे बढ़ते प्रदूषण स्तर के कारण अस्थमा के शिकार हो रहे हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 01 दिसंबर, 2022, 11:45 पूर्वाह्न IST
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