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अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर की आठवीं कक्षा की छात्रा दीपिका ने खेतों में पराली जलाने से होने वाली पर्यावरण की समस्या से निजात पाने का समाधान ढूंढ निकाला है. आए दिन खेतों में बचे अवशेष को जलाने से होने वाली समस्या का समाधान 13 साल की दीपिका ने ढूंढा, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है. दरअसल, दीपिका के बनाए इस मॉडल को राज्य स्तरीय बाल विज्ञान कांग्रेस में दूसरा स्थान मिला है. वह मुजफ्फरपुर के इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा है.
तैयार किया बायोडिग्रेडेबल वेस्ट मैनेजमेंट नाम से मॉडल
दीपिका बताती है कि उन्होंने अपने कोर्स की किताब में बायोडिग्रेबल और फॉसिल फ्यूल नाम का दो चैप्टर पढ़ा था. इसके अलावा वह लगातार न्यूज में पराली जलाने से होने वाली समस्या को देखती थी. ऐसे में उसे आइडिया आया कि क्यों ना पराली और अवशेष को जलाने के बदले फैक्ट्री में पहुंचाया जाए. इसलिए उन्होंने बायोडिग्रेडेबल वेस्ट मैनेजमेंट नाम से अपना मॉडल तैयार किया. दीपिका ने बताया कि बायोडिग्रीबेल वेस्ट आज की बड़ी समस्या है. इस वेस्ट को सही तरह से मैनेज कर के बायो फ्यूल तैयार किया जा सकता है.
पराली से बनाया जा सकता है बिजली और सीएनजी
दीपिका बताती हैं कि कई किसान खेतों में फसल के अवशेष को छोड़ देते हैं या जला देते हैं. दोनों ही पर्यावरण के लिए खतरनाक है. जैविक अवशेष को किसान से लेकर फैक्ट्री तक ले जाया जाए, जिसे वहां पानी में मिलाकर फसल अवशेष को छोड़ दिया जाएगा. कुछ दिन बाद इसे बायो टनल में डालकर इससे गैस बनाया जा सकता है और फिर सीएनजी और बिजली बनाई जा सकती है.
विज्ञान शिक्षक अविनाश कुमार बताते हैं कि दीपिका शुरू से प्रतिभाशाली छात्रा रही है. किताबों को पढ़कर वह चीजों को डिस्कस करती है. उसी दौरान बायोड्रिग्रबल वेस्ट मैनेजमेंट और फॉसिल फ्यूल चैप्टर पढ़ कर दीपिका को आइडिया आया कि जब ईंधन बायो वेस्ट से ही तैयार होता है तो पराली से क्यों ना बिजली बनाया जाए. यहीं से दीपिका ने अपना मॉडल बनाने का काम शुरू कर दिया.
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पहले प्रकाशित : 12 जनवरी, 2023, दोपहर 12:27 IST
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