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Muzaffarpur: इलेक्ट्रिक स्कूटर या कार ही नहीं चरखे भी हैं, जानिए कैसे बनाया जा रहा सूत

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Muzaffarpur: इलेक्ट्रिक स्कूटर या कार ही नहीं चरखे भी हैं, जानिए कैसे बनाया जा रहा सूत

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रिपोर्ट-अभिषेक रंजन

मुजफ्फरपुर. चरखे से गांधी जी सूत कताई करते थे. स्वदेशी अभियान के दौरान चरखे से सूत कातकर भारत ने स्वराज की ओर कदम बढ़ाया था. इसी परंपरा को जिंदा रखने के लिए देश में कई खादी भंडार की स्थापना की गई. मुजफ्फरपुर का भी खादी भंडार उनमें से ही एक है. मुजफ्फरपुर के कन्हौली स्थित खादी भंडार में आज भी सूत काता जाता है. फर्क सिर्फ इतना है कि पहले काठ का चरखा हुआ करता था, अब यह मशीन की शक्ल का बन गया है.

इलेक्ट्रिक चरखा से सूत कातती हैं महिलाएं

अब सूत कातने वाले चरखे का प्रारूप बदल गया है. अब यह चरखा इलेक्ट्रॉनिक हो गया है. इलेक्ट्रॉनिक चरखा से खादी भंडार में महिलाएं सूत कातती हैं. यहीं सूत बुनकरों के पास कपड़े तैयार करने के लिए भेजा जाता है. मुजफ्फरपुर का खादी भंडार इन्हीं सूत से कई प्रकार के कपड़े भी तैयार कर रहा है. जिसमें सूती गमझा, सूती धोती, सूती चादर आदि प्रमुख हैं. इससे महिलाओं को रोजगार भी मिलता है और वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बन रही है.

आरामदायक होते हैं खादी भंडार के कपड़े

मुजफ्फरपुर के खादी भंडार कैंपस में दर्जनों चरखे लगाए गए हैं. जिनसे महिलाएं सूत कातती हैं. यही चरखे से खादी भंडार में सूत के गुंडी को तैयार किया जाता है, जो बाद में बुनकर के पास जाता है. बुनकर इससे अपने करघा पर कपड़े तैयार करते हैं.

मुजफ्फरपुर खादी भंडार के व्यवस्थापक सरोज कुमार बताते हैं कि खादी भंडार मुजफ्फरपुर में सूत धागे निर्माण का कार्य और वस्त्र की बिक्री होती है. खादी भंडार द्वारा तैयार किए गए सूत के कपड़े मुजफ्फरपुर के कन्हौली खादी भंडार केंद्र के साथ-साथ, सरैयागंज टावर और कल्याणी के खादी भंडार पर उपलब्ध हैं, खादी भंडार में मिलने वाले कपड़ो में कई तरह की विशेषता है. खादी भंडार के कपड़े हाथ से निर्मित होते हैं, जो लोगों को बेहद आरामदायक लगते हैं और बाजार में इसकी डिमांड काफी है.

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