[ad_1]
दरभंगा जिले के हायाघाट क्षेत्र में हत्या और आर्म्स एक्ट में उसे सजा हुई थी, जिसमें कोर्ट ने हत्या के केस में उम्रकैद और 5000 रुपये जुर्माना और आर्म्स एक्ट में 5000 रुपये जुर्माना लगाया गया था। कुल मिलाकर जुर्माने की राशि 10000 रुपये थी। सरकार की ओर से संशोधित कानून के तहत रिहा करने की सूची में शामिल विजय सिंह को फिलहाल मुजफ्फरपुर केंद्रीय कार्य से रिहा नहीं किया गया है। वह सिर्फ इसलिए कि उनकी ओर से माननीय न्यायालय से सुनाई गई सजा का 10000 रुपये आर्थिक दंड की राशि जमा नहीं की गई थी। इस बात की पुष्टि केंद्रीय कारा के सुपरिटेंडेंट बृजेश मेहता ने की है। उन्होंने कहा कि आर्थिक दंड की राशि जमा करने के उपरांत ही उन्हें छोड़ा जाएगा।
Video: ‘जेल का फाटक खुल गया…शेर हमारा छूट गया’, Anand Mohan के समर्थकों को सुनिए
बता दें कि बिहार सरकार की ओर से राज्य दंड आदेश परिहार परिषद की बैठक के बाद कानून में संशोधन किया गया। इसका लाभ बिहार के विभिन्न जिलों में विभिन्न संगीन अपराधों में सजा काट रहे 27 सज़ावार बंदी को इसका लाभ मिला। इसके बाद आरजेडी के विधायक चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन का नाम सुर्खियां में है। आनंद मोहन पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के दोषी रहे हैं। तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या एक तत्कालीन बाहुबली की अर्थी जुलूस के दौरान मुजफ्फरपुर के खबरा से खदेड़ कर गोबरसही के समीप कर दी गई थी।
बताया जाता है कि तत्कालीन गोपालगंज के डीएम किसी काम को निपटाने के बाद उसी क्रम में अर्थी जुलूस के दौरान उग्र भीड़ ने खदेड़ना शुरू कर दिया, जिसमें वह दोबारा शहर की तरफ भागे थे। इस घटना में चालक और गार्ड भी घायल हुए थे, लेकिन डीएम साहब की हत्या कर दी। इस हत्या का आरोप आनंद मोहन के साथ-साथ बाहुबली मुन्ना शुक्ला समेत कई के ऊपर लगी थी।
आनंद मोहन को इस केस में फांसी की सजा हो गई थी, लेकिन सक्षम ऊपरी न्यायालय से फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी गई। तब से उम्र कैद की सजा सहरसा जेल में काट रहे थे इसे भी तो सरकार के संशोधित नियम के तहत उनको भी इसका फायदा मिल गया।
[ad_2]
Source link