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जमीन उस पोते ने बेची जिसके दादा ने जमीन राज्यपाल को दान में दी थी। मामला सामने तब आया जब खरीदार ने जमीन पर अपना कब्जा जमाना शुरू किया। दरअसल, भूस्वामी रामविलास सिंह ने 8 दिसंबर 1995 को खाता नंबर 85 और दो खसरा नंबर 1303 से 7 डिसमिल और 1298 से 3 डिसमिल जमीन बिहार सरकार को दान में दे दी।
दान में दी गई जमीन पर बना है सामुदायिक भवन और उप-स्वास्थ्य केंद्र
दान में दी गई जमीन पर सामुदायिक भवन और उप-स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हो गया, लेकिन भूस्वामी के पोता ने मोटी रकम लेकर खाता नंबर 85 व खसरा नंबर 1303 से दो डिसमिल जमीन गांव के ही हरेंद्र राय को 8 दिसंबर 2021 को रजिस्ट्री कर दी। जब खरीदार ने जमीन पर अपना कब्जा जमाना शुरू किया तो लोगों को शक होने लगा। जमीन का कागज निकाला गया तो दान में दी गई जमीन के बिक्री होने का पता चला।
मामले पर भूमि-सुधार मंत्री ने दिया ये जवाब
इस बाबत भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि रोक सूची में उक्त जमीन के शामिल नहीं होने के कारण जमीन की रजिस्ट्री हो गई। अब जब इस तरह की शिकायत मिली है तो पूरी जमीन की मापी कराई जाएगी। संभव है कि दान में दी गई जमीन का स्वास्थ्य विभाग की ओर से दाखिल-खारिज नहीं कराया गया हो। इस मामले में निबंधन विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में है।
विभाग ने जांच किए बगैर जमीन की रजिस्ट्री कर दी
जिला अवर निबंधक भले ही रोक सूची में जमीन के शामिल नहीं होने के कारण रजिस्ट्री की बात कह रहे हो, लेकिन प्रावधान के अनुसार किसी जमीन की खरीद-बिक्री से पहले निबंधन विभाग की ओर से उसकी स्थल जांच की जाती है। लेकिन विभाग ने नियम-कानून को ताक पर रखकर जांच किए बगैर जमीन की रजिस्ट्री कर दी। बताया गया है कि जमीन की रजिस्ट्री के बाद साहेबगंज अंचल से उस जमीन की दाखिल खारिज भी करा ली गई है।
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