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रिपोर्ट – अभिषेक रंजन
मुजफ्फरपुर.मुजफ्फरपुर के लीची का शहद पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. लीची के पराग से तैयार शहद स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है. यही कारण है कि लीची में परागण शुरू होने के साथ ही यहां देश के नामी-गिरामी कंपनियों के प्रतिनिधि पहुंचने लगे हैं. भारतीय मधुमक्खी पालक यूनियन के अध्यक्ष मो. शरफुद्दीन बताते हैं कि लीची के पराग से तैयार होने वाले शहद का सबसे बड़ा हब बिहार का मुजफ्फरपुर है. लीची एक स्वादिष्ट और मीठा फल है. लीची के पराग का शहद, अन्य शहद से ज्यादा स्वादिष्ट होता है. यही कारण है कि अकेले मुजफ्फरपुर जिले में ही लीची से शहद उत्पादन के क्षेत्र में 50 हजार से अधिक लोग काम करते हैं.
भारतीय मधुमक्खी पालक यूनियन के अध्यक्ष मो. शरफुद्दीन आगे कहते हैं कि आज कल नए युवक शहद के काम में नहीं आना चाहते हैं. कारण यह है कि मधुपालकों को शहद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. इस कारण से मधुपालक अपना काम छोड़ रहे हैं और दूसरे काम में जा रहे हैं. सरफुद्दीन ने बताया कि लीची के शहद का भारतीय मार्केट में बहुत डिमांड है. लेकिन MSP तय नहीं होने के कारण बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शहद के बड़े कारोबारी मनमाना दाम पर मधु पालकों से शहद खरीदते हैं. जिससे मधु पालकों को बहुत नुकसान हो रहा है. सरकार अगर लीची के शहद का भी MSP तय कर दे तो इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार बढ़ सकता है
15 मार्च से लीची के बागान में रखे जाएंगे बक्से
शरफुद्दीन बताते हैं कि 15 मार्च से मुजफ्फरपुर में लीची के बगानों में शहद के बक्से रखे जाने लगेंगे. इसके बाद 10 अप्रैल तक शहद के बक्से में मक्खियां पाली जाएगी. जिनसे मक्खियों के द्वारा इकट्ठा किए गए शहद को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होगी. वे बताते हैं कि 15 मार्च से 10 अप्रैल के बीच में इकट्ठा हुआ शहद पूरे साल तक बेचा जाएगा. मुजफ्फरपुर के लीची से तैयार शहद बाजार में 400 से 600 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है.
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पहले प्रकाशित : 29 जनवरी, 2023, दोपहर 12:05 बजे IST
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