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बिहार सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को बताया है कि उसने मुजफ्फरपुर के एक बालिका आश्रय गृह में यौन उत्पीड़न की 49 पीड़ितों को 3 से 9 लाख रुपए के मुआवजे का भुगतान किया है। अधिकारियों ने कहा कि एनएचआरसी ने 29 नवंबर 2018 को एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। आयोग के साथ-साथ दिल्ली की एक निचली अदालत ने पीड़ितों को गुण-दोष के आधार पर मुआवजे की सिफारिश की थी।
NHRC में 31 मई 2018 को दर्ज हुआ था मामला
मानवाधिकार आयोग ने एक बयान में कहा कि एनएचआरसी को बिहार सरकार ने सूचित किया है कि उसने मुजफ्फरपुर के एक आश्रय गृह में यौन उत्पीड़न की 49 पीड़ितों को 3 से 9 लाख रुपये का भुगतान किया है। कार्रवाई रिपोर्ट से पता चलता है कि एक प्राथमिकी 31 मई 2018 को दर्ज की गई थी और बाद में जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई थी। जांच के बाद 20 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था, जिनमें से 19 को दिल्ली (साकेत) की एक निचली अदालत ने दोषी ठहराया था।
27 जुलाई 2018 को CBI ने दर्ज की थी FIR
राज्य सरकार की ओर से एनएचआरसी को ये भी बताया गया है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह चलाने वाले एनजीओ का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। जिस भवन में वो स्थित था उसे अदालत के आदेशों पर ध्वस्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की निगरानी में मामले की पूरी जांच और निचली अदालत की सुनवाई एक निर्धारित अवधि के भीतर संपन्न हुई। मामले में 26 जुलाई 2018 को बिहार सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। अगले दिन यानी 27 जुलाई 2018 को सीबीआई ने बालिका गृहकांड की एफआईआर पटना स्थित अपने थाने में दर्ज की थी।
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