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अबरार बैंड के मालिक जाकत अली ने कहा कि मुजफ्फरपुर जिले में सैकड़ों बैंड हैं। मगर लोगों की विश्वास और भरोसे के कारण आज भी पहली पसंद सुपर अबरार बैंड ही है। साल भर में मात्र 3-4 महीने शादी और लग्न का टाइम होता है। बैंड बाजा वाले की पूछ होती है। सीजन खत्म होने के बाद हम और हमारे स्टाफ बेरोजगारी के आलम में आ जाते हैं। लेकिन इसी बीच काम करने की आदत पड़ गई है और काम भी करते हैं। जब कमल शाह की मजार पर चादर पोशी की बात होती है तो भी जिला प्रशासन की ओर से भी हमारा ही सुपर अबरार बैंड बजता है।
शादी-विवाह के समय एक अनोखा फैसला मुजफ्फरपुर के सभी बैंड वालों ने मिलकर लिया है। इनका कहना है कि वो फूहड़ गाना नहीं बजाएंगे और ना ही दूसरे बैंड-बाजे वाले को बजाने देंगे। सट्टा लिखने के समय ही अपने ग्राहकों से या बात करके स्पष्ट शब्दों में कह देते है। बैंड वालों ने इस फैसले को लोगों ने भी सम्मान किया है। वहीं, बैंड बाजा के कलाकारों ने सरकार से मांग की है कि ट्रॉली को बंद नहीं करें। अगर ट्रॉली को बैन किया जाता है तो ये बाजा का मुख्य साधन होता है। बिहार के 15,000 से अधिक बैंड बाजे ट्रॉली का संचालन करते हैं। प्रतिबंध किया जाता है तो बैंड बाजा वालों पर रोजी-रोटी की समस्या आ जाएगी।
रिपोर्ट- के. रघुनाथ
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