Home Muzaffarpur मुजफ्फरपुर के रेड लाइट एरिया में पली-बढ़ी नसीमा, NHRC में मिली जिम्मेदारी, पढ़िए स्टोरी

मुजफ्फरपुर के रेड लाइट एरिया में पली-बढ़ी नसीमा, NHRC में मिली जिम्मेदारी, पढ़िए स्टोरी

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मुजफ्फरपुर के रेड लाइट एरिया में पली-बढ़ी नसीमा, NHRC में मिली जिम्मेदारी, पढ़िए स्टोरी

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रिपोर्ट: अभिषेक रंजन

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर की सेक्स वर्कर की बेटी नसीमा खातून मानव अधिकार आयोग की ओर से NHRC (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) में सलाहकार बनी हैं. कोर ग्रुप के सदस्य‌ के तौर पर नसीमा खातून को भी नॉमिनेट किया गया. वर्ष 2001 का कोई एक दिन. मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान के रेडलाइट एरिया की जोहरा गली में पुलिस के साथ एक सामाजिक संस्था की पूरी टीम बैठी हुई थी. सेक्स वर्करों से पेशा छोड़ने को कहा जा रहा था. छह माह के बाद उन्हें मोमबत्ती बनाने का काम दिया जाता. लेकिन इन सेक्स वर्करों की समस्या यह थी कि अगले छह माह तक इनका घर-परिवार कैसे चलता?

वहीं कभी आर्थिक मदद की उम्मीद नहीं थी. दोनों ओर से चर्चा-परिचर्चा चल रही थी. वहीं, थोड़ी दूर पर बैठी एक सेक्स वर्कर की 16 साल की बेटी भी इन सभी बातों को गौर से सुन रही थी. इसी दिन इस लड़की का पुनर्जन्म हुआ. नाम नसीमा खातून. रेड लाइड एरिया की लड़कियों को इस धंधे से निकालने और सम्मानजनक जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करने को वह एक साल तक गोपनीय तरीके से मोटिवेट करती रही.

यह सिलसिला जारी रहा. अगले तीन साल बाद जब लगा कि अब कुछ बदलाव लाने की स्थिति में आ गई है, तो सामाजिक संस्था बनाकर अपने अभियान में जुट गई. जोहरा गली की इसी ‘लड़की’ नसीमा को खातून को आज राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने सदस्यों की कोर कमेटी में शामिल किया है.

रेड लाइट एरिया में किसी को बेटी नहीं माना जाता
नसीमा बताती हैं कि वह खुद एक सेक्स वर्कर की बेटी है. उसे अपनी पहचान जाहिर करने में कोई परहेज नहीं है. बल्कि वह गर्व से कहती है कि वह एक सेक्स वर्कर की बेटी है. वह कहती हैं कि रेड लाइट एरिया में किसी को बेटी नहीं माना जाता है, कई सवाल उठाए जाते हैं. उसे सिर्फ धंधा वाली समझा जाता है. लेकिन हकीकत सिर्फ यही नहीं है. यहां भी लोगों का परिवार और बच्चे है. मुजफ्फरपुर में उसके अबतक किए गए प्रयास का काफी कुछ असर हुआ है. अब और काम करने के लिए मनोबल बढ़ा है.

सेक्स वर्कर की बेटी बनी NHRC सलाहकार
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कोर कमेटी का सदस्य बनने को नसीमा खुद के लिए गौरव मानती है. वह कहती हैं कि अब वह न सिर्फ मुजफ्फरपुर, बल्कि देशभर की रेड लाइड एरिया की लड़कियों की तकलीफों को सही प्लेटफॉर्म पर रख पाएगी. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में ऐसी गलियों की लड़कियों-महिलाओं की जिंदगी में कुछ बदलाव ला पाऊं. इस अवसर के मिलने के बाद आगे और बेहतर तरीके से भी मानवाधिकार के कामों को आगे बढ़ाऊंगी.

सामाजिक ताने के कारण छूट जाती है पढ़ाई
रेड लाइट एरिया की महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए नसीमा ‘परचम’ नाम की एक सामाजिक संस्था चलाती हैं. जिसकी वह सचिव है. नसीमा कहती हैं कि रेड लाइट एरिया की महिलाओं को भी सम्मान से जीने का अधिकार है. जब भी इन गलियों में पुलिस की रेड पड़ती है, लोग यही कहते हैं कि सेक्स वर्कर रही होगी. लेकिन लोग इस ओर कभी ध्यान नहीं देते हैं कि उन घरों में भी छोटी-छोटी बच्चियां रहती हैं. शर्मिंदगी और सामाजिक ताने के कारण उनकी पढ़ाई छूट जाती है. जो कोई स्कूल जाती भी हैं, तो उनमें से अधिकांश को अपनी पहचान छुपाकर रखना मजबूरी रहती है. इस स्थिति को समाप्त करना होगा. तभी इन गलियों की बेटियां भी आगे बढ़ पाएगी.

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