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अभिषेक रंजन/मुजफ्फरपुर. ग्रामीण क्षेत्र की कमजोर तबके की महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में जीविका परियोजना किसी वरदान से कम नहीं है. यही कारण है कि जीविका से जुड़कर लाखों महिलाएं न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा भी पा रही हैं. जीविका की सफलता की गूंज अब बिहार से बाहर निकलकर अमेरिका तक पहुंच गई है. हाल ही में अमेरिका की एक संस्था के सदस्यों ने मुजफ्फरपुर आकर इन महिलाओं से मुलाकात की.
जीविका से जुड़कर महिलाओं के जीवन में कई बदलाव आए हैं. सकरा प्रखंड की रहने वाली सना खातून को दवा खरीदने तक के लिए भी पैसे नहीं थे. ऐसे में सना जीविका से जुड़ गई. उसे यहां से स्वरोजगार के लिए 10 हजार रुपये मिले. इससे उसने घर-घर जाकर श्रृंगार का सामान बेचना शुरू कर दिया. सना कहती है कि अब उसका गुजरा ठीक से होने लगा है. जीविका से जुड़ी ऐसी लाखों सना हैं, जो छोटे-छोटे काम कर अपना परिवार चला रही हैं.
महिलाओं का काम देख अमेरिकी गदगद
जीविका समूह की इन महिलाओं की सफलता की गूंज विदेशों तक फैल रही है. इनके कामकाज को देखने अमेरिका की संस्था को-इंपैक्ट की एसोसिएट डायरेक्टर डोरिस किंग मुजफ्फरपुर पहुंचीं. डोरिस ने जीविका से जुड़ी महिलाओं से मुलाकात कर बारीकी से जानकारी ली. इस दौरान डोरिस ने कहा कि जीविका, बंधन और जे-पाल संस्था के संयुक्त प्रयास से यहां की महिलाएं आर्थिक रूप से संबल हो रही हैं. इस दौरान सकरा प्रखंड के आनंद संकुल स्तरीय संघ में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया. जहां जीविका से जुड़ी अनिशा ने जीविका के अबतक के सफर का विवरण पेश किया.
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पहले प्रकाशित : 15 मई, 2023, दोपहर 2:01 बजे IST
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