Home Muzaffarpur मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को खोलने की कवायद: सिविल सर्जन ने जांच टीम का किया गठन, रिपोर्ट में सबकुछ सही रहने पर खोला जाएगा हॉस्पिटल

मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को खोलने की कवायद: सिविल सर्जन ने जांच टीम का किया गठन, रिपोर्ट में सबकुछ सही रहने पर खोला जाएगा हॉस्पिटल

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मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को खोलने की कवायद: सिविल सर्जन ने जांच टीम का किया गठन, रिपोर्ट में सबकुछ सही रहने पर खोला जाएगा हॉस्पिटल

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मुजफ्फरपुर शहर के जुरन छपरा स्थित आई हॉस्पिटल को खोलने की कवायद शुरू कर दी गयी है। लेकिन, इससे पहले इस हॉस्पिटल में सबकुछ सही और मानक अनुसार होना चाहिए। अगर मानकों पर खड़ा नहीं उतरती है तो फिलहाल यह सील ही रहेगा।

इसके लिए सिविल सर्जन डॉक्टर विनय शर्मा ने ACMO डॉ. एसपी सिंह के नेतृत्व में टीम का गठन किया है। टीम की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। रिपोर्ट पर ही निर्भर करेगा कि हॉस्पिटल खुलेगा या नहीं।

सिविल सर्जन ने कहा कि जिला गोपनीय शाखा के कार्य पदाधिकारी ने पत्र दिया है कि आइ हॉस्पिटल की जांच कर उसे खोलने की प्रक्रिया शुरू की जाए।

जांच टीम इसमें देखे कि अस्पताल में जांच की स्थिति, OT, डॉक्टरों की संख्या, पारामेडिकल स्टॉफ, व अन्य उपकरण, जिससे आंखों के ऑपरेशन होते हैं, इसके साथ ही वहां अभी क्या स्थिति हैं। इन सब का रिपोर्ट जांच टीम द्वारा देने के बाद ही हॉस्पिटल खोले जाने पर निर्णय लिया जाएगा।

सांसद निषाद ने की थी मांग

बता दें कि BJP सांसद अजय निषाद ने लोकसभा में भी आई हॉस्पिटल को दोबारा खोलने की मांग की थी। इसके साथ उन्होंने DM काे भी पत्र लिखकर जानकारी देते हुए कहा था कि मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल एक ट्रस्ट की देखरेख में पिछले 48 वर्षों से मरीजों का इलाज कर रहा है।

उसे खोलने पर गरीबों का इलाज हो पायेगा। इसपर विचार किया जाना चाहिए। आगे से उस घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो। इसका निश्चित रूप से ख्याल रखा जाए।

CS ने टीम भेजने को लिखा पत्र

CS ने जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। तथा स्वास्थ्य विभाग पटना से भी एक टीम मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल के स्थल एवं OT का निरीक्षण करने को पत्र लिखा है। जांच के उपरांत कमेटी इस निर्णय पर पहुंचेगी कि अस्पताल खोला जाए या नहीं।

बता दें कि पिछले साल 22 नवंबर में 65 मरीज का आपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद मरीजों की आंखों में इन्फेक्शन हो गया था। 15 मरीजों की एक आंख निकालनी पड़ी थी। जबकि दो दर्जन मरीजों की आंखों का इलाज हुआ था। जिसके बाद से अस्पताल को सील कर दिया गया था।

 

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