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गर्मी के साथ बिहार में फिर मासूमों की मौत का डरावना सीजन आ गया है। राज्य के अधिकांश जिलों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री के पार है, मौसम विभाग का पूर्वानुमान 43 डिग्री तक का है।
ऐसे में मासूमों की जान लेने वाली चमकी बुखार (AES) का खतरा मंडरा रहा है। मासूमों के सिर पर मौत का तांडव करने वाली चमकी से मुजफ्फरपुर में ऐसी तबाही मचाई थी जिससे पूरा देश सहम गया था। गर्मी जब भी प्रचंड होती है, सरकार से लेकर जिम्मेदारों के होश उड़ जाते हैं।
जानिए क्या है चमकी बुखार AES
बिहार में जिसे चमकी बुखार के नाम से जाना जाता है वह अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) होता है। अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी AES शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला होता है। यह बच्चों में काफी प्रभावी होता है और इस बीमारी में मौत का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
बिहार में इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है। उहर साल गर्मी में इसके प्रभाव से कई गोद सूनी हो जाती है। मुजफ्फरपुर के साथ राज्य के अन्य जिलों में भी इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है, लेकिन मुजफ्फरपुर में इसका अधिक असर होता है।
जानिए क्या होता है चमकी का लक्षण
- चमकी में शुरुआत में ही काफी तेज बुखार होता है।
- बुखार के साथ शरीर में अकड़न और एंठन होने लगती है।
- बुखार और अकड़न के बाद शरीर के तंत्रिका संबंधी फंक्शन में बाधाएं आती हैं।
- तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने के कारण मानसिक भटकाव महसूस होने लगता है।
- इस कारण से बच्चों में झटका या फिर बेहोशी होने लगती है।
- AES होने के बाद से ही बच्चों में दौरे पड़ने लगते हैं।
- बच्चों में घबराहट महसूस होने लगती है, इससे सांस फूलती है।
- कुछ बच्चों में कोमा में भी जाने का खतरा बढ़ जाता है।
- अगर समय पर इलाज नहीं हो ताे तेजी से हालत बिगड़ती है।
- इलाज समय पर नहीं होने से मौत का खतरा भी अधिक होता है।
- अब तक इस बीमारी का सही से पता भी नहीं चल पाया है कि इसका कारण क्या है।
- बीमारी को लेकर बस अनुमान ही लगाए जा जाते हैं।
- कभी लीची तो कभी खाली पेट रहना इस बीमारी का बड़ा कारण बताया जाता है।
गर्मी के कारण बढ़ता है खतरा
डॉक्टर चमकी बुखार को गर्मी से जोड़कर देखते हैं। हर साल इसका खतरा गर्मी में ही आता है। ऐसे लक्षण वाले बच्चों के मामले गर्मी में आने के कारण ही इसे गर्मी से जोड़कर देखा जाता है। डॉक्टर भीषण गर्मी को बीमारी का एक बड़ा कारण मानते हैं, इस बार गर्मी अधिक है।
इस कारण से इस बार खतरा भी अधिक हो सकता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि AES के बढ़ते मामले और मौतों में बढ़ोत्तरी कहीं न कहीं गर्मी के कारण ही है। पटना के फिजीशियन डॉक्टर राणा एसपी सिंह बताते हैं कि इस बीमारी में सावधानी से बचा जा सकता है। कुपोषण और पानी की कमी के कारण इसका प्रभाव अधिक दिखता है।
12 साल में राज्य में 20 हजार से अधिक बीमार
बिहार में पिछले 12 साल में AES की बड़ी तबाही देखने को मिली है। राज्य में इस दौरान 20 हजार से अधिक बच्चों में AES का अटैक हुआ है। इसमें सबसे अधिक मुजफ्फरपुर में 2661 बच्चों में चमकी हुई है।
राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में ही 12 साल में 474 बच्चों की मौत हुई है। 2019 में 111 बच्चों की मौत ने पूरे देश में जिले को चर्चा में ला दिया था। कोरोना जैसी ही भयावह स्थिति हुई थी जिसमें चीख पुकार से हाहाकार मच गया था।
स्वास्थ्य विभाग का हाई अलर्ट
चमकी बुखार AES को लेकर सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रभावित जिलाें का दौरा कर रही है। राज्य में 14 जिलों में इसका विशेष प्रभाव हाेता है।
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से लड़ने के लिए पूरी तरह से अलर्ट है और रोकथाम को लेकर प्राथमिक उपचार पर विशेष अलर्ट है। चमकी बुखार को लेकर शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की एक हाई लेबल बैठक भी हुई है जिसमें बचाव को लेकर मंथन किया गया है।
अपर मुख्य सचिव प्रत्यय मृत के साथ स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय सिंह एवं विभाग के अपर सचिव कौशल किशोर सहित अन्य अधिकारियों ने मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण किया है।
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