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मुजफ्फरपुर में 4 साल से जेल में बंद नूर मोहम्मद से मिलने पहुंचे परिजन।
परिवार वाले 4 साल से जिसे मृत समझ रहे थे। वह मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में बंद है। घरवालों ने तो मृत मानकर आस ही छोड़ दी थी। लेकिन, अचानक से उनकी जिंदगी में भूचाल आ गया। जब पता लगा कि वे जीवित हैं और जेल में बंद हैं।
हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल के बोरवा थाना के मुर्शिदाबाद के रहने वाले नूर मोहम्मद की। वह पिछले 4 साल से मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। अब उनके परिजन को इसकी जानकारी लगी है कि वे जीवित हैं। नूर मोहम्मद के पुत्र जलील खान अपनी पत्नी बच्चों के साथ मुजफ्फरपुर पहुंच चुके हैं। जेल में बंद अपने पिता से VC के माध्यम से मुलाकात की भी की।
खुशी से झूम उठे, जब पिता को सामने देखा। अब नूर मोहम्मद के जमानत की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। दरअसल, 4 साल पूर्व जिले के हथौड़ी थाना की पुलिस ने उसे बच्चा चोरी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बाद से वे जेल में ही हैं।
आज तक कोई भी खोज खबर लेने नहीं गया। क्योंकि परिजन को उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वे लोग तो उन्हें मृत समझकर जीवन जीने लगे थे।
3 महीने से लगा रही थी पता
अधिवक्ता होमा परवीन ने बताया कि DLSA (जिला विधिक सेवा प्राधिकार) द्वारा उन्हें तीन महीने पूर्व नूर मोहम्मद के केस की पैरवी करने को कहा गया था। इसके बाद उन्होंने केस से संबंधित कागजातों को खंगाला। इसमें सबसे बड़ी परेशानी थी कि नूर मोहम्मद के राज्य का नाम नहीं लिखा हुआ था।
इसके बाद वे जेल में उससे मिलने गई। लेकिन, उसकी भाषा न तो वे समझ पा रही और न उनकी भाषा को नूर समझ रहा था। फिर भी वह जो बोल रहा था उसे वह डायरी में लिख रही थीं। इस दौरान वह रोने भी लगा था।
कुछ ने आतंकवादी तक कह दिया
अधिकवक्ता ने बताया कि उन्होंने और भी कई माध्यम से जानकारी जुटाई। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह कौन सी भाषा बोल रहा है। किसी ने त्रिपुरा, तो किसी ने असम और पश्चिम बंगाल का भाषा बोलने की बात बताई। वहीं कुछ ने कहा कि वह आतंकवादी है। लेकिन, उन्होंने खोजबीन जारी रखा।
इंटरनेट से मिला सुराग
अधिवक्ता ने इसके बाद इंटरनेट पर खंगालना शुरू किया। इसी दौरान उसके सही पता मिल गया। इसके बाद उन्होंने वहां के प्रशासन से संपर्क किया। फिर बोरवा थानेदार से बात की। वहां से उसके घर का सही पता और परिजन का मोबाइल नंबर उन्हें मिल पाया।
अधिवक्ता ने नूर के परिजन से बात की और पूरी घटना से अवगत कराया। पिता के जीवित होने की बात सुनते ही जलील खान की आंखों में आंसू आ गए। इसके बाद वह अपने बच्चों और परिवार संग मुजफ्फरपुर आया। अधिवक्ता से मुलाकात की। इसके बाद जेल पर जाकर पिता से मिला।
भटक कर चले आए थे मुजफ्फरपुर
नूर के बेटे ने बताया कि 5 साल पहले उनके पिता घर से भटक गए थे। वे मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थे। हो सकता है कि वे भटक कर मुजफ्फरपुर पहुंच गए हो। यहां से पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल के उपाधीक्षक सुनील कुमार मौर्य ने कहा कि नूर मोहम्मद जेल में ही है। अधिवक्ता और उसके परिजन मिलने आए हुए थे। इधर, अधिवक्ता ने कहा कि अब जमानत की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
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