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कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दहशत ने बिहार में घरों में पति-पत्नी के झगड़े बढ़ा दिए हैं। पटना जनवरी के 30 दिनों में आई शिकायतों में 48% महिलाओं ने गृह कलह की परेशानी साझा की है।
साल 2021 में आई शिकायतों में 58% महिलाओं ने अलग-अलग कारणों से गृह कलह की समस्या दर्ज कराई थी। रोजगार और आर्थिक तंगी समस्या का बड़ा कारण बनी है। शराबबंदी के बाद राज्य में गृह कलह के मामलों में 60 से 70% की गिरावट आई लेकिन कोरोना काल में फिर समस्या गंभीर हो गई है।
बिहार में गृह कलह की बड़ी समस्या
बिहार में गृह कलह की समस्या से महिलाएं काफी परेशान रही हैं। पुलिस के पास भी आने वाले अधिकतर मामले की जड़ गृह कलह रही है। गृह कलह का बड़ा कारण शराब रही है, बिहार की महिलाओं ने सीएम नीतीश कुमार से लगातार इसे लेकर गुहार भी लगाई।
नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर दृढ़ संकल्पित हो गए और इसी का नतीजा रहा कि वर्ष 5 अप्रैल 2016 में बिहार को पूर्ण रुप से शराबबंदी वाला राज्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद महिला अपराधों में काफी राहत हो गई। शराबबंदी का सबसे बड़ा असर महिलाओं से जुड़े अपराधों पर देखा गया इसमें गृह कलह का मामला सबसे ऊपर रहा।
कोरोना काल में बढ़ गई महिलाओं की समस्या
2020 के बाद बिहार में अचानक से घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोत्तरी हो गई। एक्सपर्ट का मानना है कि इसका बड़ा कारण कोरोना के कारण नौकरी छूटने व रोजगार ठप होना रहा है। राज्य के सभी जिलों में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े हैं।
पटना, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, दरभंगा, मधुबनी के साथ अन्य जिलों में भी घरेलू हिंसा के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। पटना में तो इसमें काफी तेजी से बढ़त देखने को मिली है। पटना में ऐसे अपराधों पर तत्काल अंकुश लगाने को लेकर बड़ी पहल की गई है।
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने 24 घंटे चलने वाले हेल्प लाइन का निरीक्षण कर शिकायतों पर क्विक एक्शन का निर्देश दिया है।
घरों में कोरोना का साइड इफेक्ट देखिए
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021 में पटना के हेल्प लाइन में कुल 567 मामले आए जिसमें घरेलू हिंसा के 329 मामले रहे। पटना में 58% महिलाओं ने एक साल में अपनी इस पीड़ा बताई है।
इसके साथ ही 567 मामलों में दहेज प्रताड़ना के 71 जबकि शेष अन्य मामले संपत्ति विवाद ,बाल विवाह से जुड़ा रहा। जबकि जनवरी 2022 के कुल 30 दिनों में कुल 37 मामले आए जिसमें 18 मामले यानी 48% मामले घरेलू हिंसा के ही रहे हैं। महिलाओं ने अपनी पीड़ा में पति की बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के कारण घरेलू हिंसा की बात कही है।
हेल्पलाइन के माध्यम से पीड़ित महिलाओं को सहायता एवं प्रभावित महिलाओं के प्रति हिंसा के विरुद्ध जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए चिकित्सीय, विधिक, मनो वैज्ञानिक सहयोग एवं सलाह दिया जा रहा है। इसके साथ ही आकस्मिक एवं गैर आकस्मिक सेवाएं भी दी जा रही है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मनो चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना काल में अचानक से ऐसे मामले बढ़ गए हैं। यह काफी घातक है, थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। ऐसे केस जब गंभीर हो जाते हैं, तो आपराधिक घटनाएं भी हो जाती हैं।
पटना के हितैसी हैप्पीनेस होम के डायरेक्टर मनो चिकित्सक डॉ. विवेक विशाल का कहना है कि कोरोना काल में मनोरोग के मामले काफी बढ़ गए हैं। इसमें गृह कलह का मामला अधिक हैं। पति पत्नी के झगड़ों को लेकर तो अधिक मामले आए। कोरोना काल में ऐसे मामलों आए इसका 3 बड़ा कारण सामने आया है।
यह है विवाद का 3 फैक्टर
बेरोजगारी से 24 घंटे का साथ
मनो चिकित्सक डॉ विवेक विशाल का कहना है कि पहले लोग काम के लिए अलग अलग रहते थे। दिन में अमूमन लोग काम पर निकल जाते और रात में आते। अक्सर ऐसे मामले आते हें जब 24 घंटे के साथ के कारण एक दूसरे की कमी निकालना व छोटे मामले से विवाद हो जाना आम बात है। आदत में परिवर्तन नहीं होता है। दिन भर घूमने वाला घर में बैठना बड़ा कारण होता है।
आर्थिक तंगी भी विवाद का कारण
आर्थिक तंगी के कारण भी गृह कलह का मामला बढ़ा है। ऐसे मरीज आ रहे हैं जिनके घर में आर्थिक तंगी के बाद पति पत्नी के बीच विवाद बढ़ गया है। आदत में परिवर्तन लोग जल्दी एक्सेप्ट नहीं कर पाते हैं। अचानक से काम मिलना बंद हो गया और बेरोजगारी से समस्या हुई।
डर बना विवाद का कारण
मनो चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना काल में डर भी बड़ा कारण गृह क्लेश का बन रहा है। कोरोना से डर और नौकरी छूटने का डर, रोजगार में मंदी आने का डर, मजदूरों को काम नहीं मिलने का डर सता रहा है। इस कारण से भी घरों में समस्या है।
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