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मुजफ्फरपुर में कोरोना जांच का आंकड़ा बढ़ाकर दिखाने में ‘खेल’ किया जा रहा है। दरअसल मुजफ्फरपुर जंक्शन पर नियमित कोरोना जांच हो रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चार कांउटर स्थायी तौर पर लगाये गये है। साथ ही तीन शिफ्ट में रेल यात्रियों के कोरोना जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मी की प्रतिनियुक्ति है।
लेकिन, जांच का टारगेट पूरा करने के लिए स्वास्थ्यकर्मी खेल कर रहे हैं। कोरोना जांच के लिए किट के साथ मिलने वाले स्टिक को डस्टबिन में फेंक कर रहे हैं। बिना इस्तेमाल किया नया किट डस्टबिन में फेंक दिया गया और उसकी गिनती टेस्टिंग के आंकड़ा में दिखा रहे हैं। जंक्शन के पूछताछ कांउटर के समीप रखे कूड़ेदान में दर्जनों नये स्टिक देखे गये।
मौके पर मौजूद स्वास्थ्यकर्मी कुछ भी बोलने से इंकार करते एक दूसरे पर आरोप थोपने में लगे रहे। हालांकि, कई बार पूछने पर बताया उनसे पहले वाले शिफ्ट में तैनात स्वास्थ्यकर्मियों ने फेंका है। क्यों फेंका है इसकी जानकारी उनके पास नहीं है। हालांकि, यह जरूर बताया कि जितने भी स्टिक फेंके हुए थे। सभी फ्रेस व नये थे जिनका पैकेट नहीं खुला था।
पहले वाले कर्मी पर लगा रहे आरोप
जंक्शन पर कोरोना जांच कर रहे कर्मी संतोष कुमार ने बताया कि उनके आने से पहले से ये फेंका हुआ था। हो सकता है उनसे पहले जिसकी ड्यूटी थी। उसने फेंका हो। साथ बैठे कर्मी से पूछा तो टालमटोल जवाब देने लगा। इससे स्पष्ट है कि आंकड़ा बढाकर दिखाने में खेल किया जा रहा है। साथ ही जांच के नाम पर खानापूर्ति भी की जा रही है।
ट्रेन से उतरे यात्री इधर-उधर से निकल जा रहे है। जिनकी मर्जी होती है वही जांच कराने आता है। उन्हें रोककर जांच करवाने वाला कोई नहीं है। मालूम हो कि, इससे पूर्व कोरोना काल में जिले में एंटीजेन किट घोटाला हो चुका है। जिसमे स्वास्थ्यकर्मियों की ही संलिप्ता सामने आई थी।
मामले की होगी जांच
कोरोना जांच के नोडल पदाधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि जांच के लिए मिले एक्स्ट्रा स्टिक को मेडिकल वेस्ट में फेंक सकते है। उसे मेडिकल वेस्टेज मान लिया जाता है। हर दिन कुछ अतिरिक्त स्टिक जांचकर्ता को उपलब्ध करायी जाती है।
औसतन पांच हजार टेस्टिंग होना है। लेकिन, फ्रेश किट को डस्टबिन में फेंकने का जो मामला है। उसकी जाँच कराई जाएगी। जो दोषी होंगे उसपर कार्रवाई होगी।
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