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JDU नेता और NDA से MLC उम्मीदवार दिनेश सिंह लगातार चौथी बार विधान पार्षद चुनाव में अपना दबदबा कायम रखने में सफल रहे हैं। उन्होंने RJD प्रत्याशी और बाहुबली माने जाने वाले शंभू सिंह को एकतरफा मुकाबले में भारी अंतर से हरा दिया है।
उनकी बाहुबली की इमेज रही है, लेकिन वे कहीं से भी दिनेश सिंह के कद के आगे नहीं टिक सके। हां, उनके मैदान में आने से चर्चाओं का बाजार जरूर गर्म हुआ था। अटकलें भी लगाई जाने लगी थी, लेकिन परिणाम आते ही सब स्पष्ट हो गया।
हालांकि, राजनीति के दिग्गज शुरू से दिनेश सिंह को ही विजेता मान रहे थे। 2003 से ही उनका दबदबा MLC के पद पर रहा है। वहीं, RJD प्रत्याशी लगातार अपनी छवि सुधारने की कोशिश में लगे थे।
कहते थे इस बार धनबल की नहीं, जनबल की जीत होगी। वह लगातार क्षेत्र में घूम-घूमकर प्रचार प्रसार करने के साथ जनप्रतिनिधियों से समर्थन मांग रहे थे।
खूब प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, लेकिन इसका कोई फायदा उन्हें नहीं मिला। चुनाव परिणाम सामने आते ही पूरी स्थिति स्पष्ट हो गई, जिसका पहले से कयास लगाया जा रहा था। वही चुनाव परिणाम में भी बदल गया।
जीत के बाद फूल-मालाओं से लादे गए दिनेश सिंह।
मांगी गई थी एक करोड़ की रंगदारी
पिछले महीने से ही दिनेश सिंह से एक करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी। उन्हें धमकी भरा कॉल आया था। रंगदारी नहीं देने पर AK-47 से हत्या कर देने की धमकी दी गई थी। मामला खूब सुर्खियों में रहा।
हालांकि, अब तक पुलिस इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। ये भी पता नहीं लगा कि रंगदारी किसने मांगी थी। दिनेश सिंह जैसे कद्दावर नेता से रंगदारी मांगने और गिरफ्तारी नहीं होने से कहीं न कहीं पुलिस पर सवालिया निशान लग गया है।
AK-47 का नाम आते ही एक शख्स का नाम हर किसी की जुबां पर आने लगा था, जो उनकी छवि की पहचान भी रही है।
पहले ही राउंड में जीत के आंकड़े को छुआ
दिनेश सिंह को कुल 5174 वोट मिले। जबकि, शंभू को सिर्फ 774 वोटों से संतोष करना पड़ा। यानी मुकाबला पूरी तरह एकतरफा साबित हुआ। दिनेश सिंह ने वोटों की गिनती के पहले राउंड में ही जीत के आंकड़े (2996) को छू लिया था। शंभू उनके आसपास भी नहीं फटक पाए।
जीत के बाद दिनेश सिंह ने खुलकर बात की और कहा, ‘हवा-हवाई हो गया 47 और 48। यहां तो कोई लड़ाई ही नहीं थी। मुकाबला बिल्कुल एकतरफा था। यहां तो निर्विरोध चुनाव होना चाहिए था। आज से नहीं 2003 से यही हो रहा है।
किसी न किसी को लाकर लड़ा देते हैं कि पार्टी की इज्जत का सवाल है। उम्मीदवार तक नहीं मिलता है। प्रस्तावक भी नहीं मिलता है। देख लीजिए पूरे बिहार भर में सबसे पहले परिणाम यहां पर आया है और सबसे अधिक वोटों से जीत हुई है। इसके लिए सभी जनप्रतिनिधियों को दिल से धन्यवाद।’
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