Home Muzaffarpur अब बिहार के बाहर भी लहलहाएगी मुजफ्फरपुर की शाही लीची

अब बिहार के बाहर भी लहलहाएगी मुजफ्फरपुर की शाही लीची

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अब बिहार के बाहर भी लहलहाएगी मुजफ्फरपुर की शाही लीची

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कर्नाटक और केरल में शाही लीची के पौधे लगाने का क्रेज

कर्नाटक और केरल में शाही लीची के पौधे लगाने का क्रेज

कर्नाटक और केरल में शाही लीची के पौधे लगाने का क्रेज अधिक देखा जा रहा है। कर्नाटक के किसान शाही लीची के बीस हजार से अधिक पौधे ले गए हैं। झारखंड के किसान सिर्फ एक सप्ताह में शाही लीची के चार हजार से अधिक पौधे ले गए हैं। केरल में कई हेक्टेयर में मुजफ्फरपुर की शाही लीची के पौधे लगाये गए हैं। लीची के पौधे लगाने के लिए कई देश (इंडोनेशिया, सउदी अरब सहित अन्य) केंद्र सरकार स्तर पर वार्ता कर रहे हैं। वे चाह रहे हैं कि मुजफ्फरपुर की शाही लीची इनके देश की भी रौनक बने। इस पर सहमति बननी बाकी है।

पहाड़ी क्षेत्रों में क्रांति लाने की दिशा में चल रहा काम

पहाड़ी क्षेत्रों में क्रांति लाने की दिशा में चल रहा काम

कोडगू (कर्नाटक) के किसान सघन बागवानी की ओर से राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में शाही लीची क्रांति लाने की दिशा में काम चल रहा है। वहां के किसानों ने राष्ट्रीय लीची अनुसंधान के वैज्ञानिकों को बताया कि कर्नाटक के पहाड़ी इलाके में शाही लीची के लिए काफी संभावनाएं पाई गई हैं। वहीं झारखंड के किसानों ने अपने यहां ‘हेज रो सिस्टम से लीची के चार हजार पौधे लगाने को ले गए हैं।

तकनीक ने लीची की खेती को बना दिया है आसान

तकनीक ने लीची की खेती को बना दिया है आसान

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुशहरी के निदेशक डॉ विकाश दास ने बताया कि हाल के दिनों में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में बाहर के राज्यों से किसान आकर शाही लीची लगाने की नई-नई तकनीक सीख रहे हैं। अभी तक 100 से अधिक किसानों ने शाही लीची लगाने की तकनीक का प्रशिक्षण लिया है। अनुसंधान केंद्र ने 17 वर्षों में 20 ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसने लीची की खेती को आसान बना दिया है।

लीची के पौधों की डिमांड बढ़ती जा रही है

लीची के पौधों की डिमांड बढ़ती जा रही है

उन्होंने बताया कि शाही लीची के पौधों की डिमांड दूसरे राज्यों में तेजी से बढ़ती जा रही है। कर्नाटक, केरल, छतीसगढ़, ओडिशा, पंजाब, यूपी और झारखंड के किसान यहां से हजारों पौधे ले गए हैं। नई तकनीक से पौधे वहां की मिट्टी में आसानी से लग रहे हैं।

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