मुजफ्फरपुर । Lata Mangeskar RIP: स्वर साम्राज्ञी देशरत्न लता मंगेशकर के निधन से पूरा देश दुखी है। सभी कलाकारों में शोक की लहर है। लता मंगेशकर के साथ कई बार मिलने जुलने वाले वरीय अभिनेता व फिल्म निर्माता मुजफ्फरपुर निवासी विजय खरे भावुक हैं।
उन्होंने लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए कई यादों को साझा किया। खरे ने बताया कि वे जब मुजफ्फरपुर से मुंबई जाकर संघर्ष कर रहे थे तो उस समय शंकर जयकिशन के यहां सहायक के रूप में काम करने का अवसर मिला था।
संगीतकार शंकर जयकिशन के यहां लता मंगेशकर का आना जाना रहता था। दर्जनों बार ऐसा हुआ जब वह रिकार्डिंग का संवाद लेकर उनके घर पर गए थे। जब वह रिकार्डिंग के लिए आती थीं तो दुआ सलाम होता था। आशीर्वाद देकर उत्साहित करती थीं।
उनसे देश के संगीत की पहचान
विजय खरे कहते हैं कि लताजी कलाकारों के प्रति बहुत ही श्रद्धा रखती थीं। एक वाकये की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार वे शिवाजी पार्क से नाटक का रिहर्सल करके एकेडमी लौट रहे थे। प्रशिक्षण से लौटने के दौरान उन्होंने सब्जी मंडी में एक महिला को सब्जी खरीदते देखा। साथ चल रहे दोस्त ने कहा कि विजय इनको पहचानते हो? मैंने कहा, नहीं।
फिर उन्होंने बताया, ये लता मंगेशकर की मां हैं। हमें आश्चर्य हुआ इतने बड़े परिवार की महिला और आम लोगों की तरह मोल भाव कर सब्जी खरीद रही हैं। इस परिवार के लोगों की सोच हमारे लिए प्रेरणास्रोत है। खरे ने कहा कि जब भी वे मिलतीं, हालचाल पूछतीं और फिर अपने काम में निकल जातीं।
लता मंगेशकर एक ऐसी शख्सियत थीं जिससे हमारे देश की संगीत की पहचान है। उनका जाना मेरा व्यक्तिगत ही नहीं देश का भी नुकसान है। आज उनके कई गाने सदाबहार हैं। खासकर ऐ मेरे वतन के लोगों…। हम समझते हैं कि लता जी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज सदियों तक गूंजती रहेगी। हम कलाकारों के लिए यह प्रेरणा देने का काम करेगी।
लता मंगेशकर नहीं आ सकीं मुजफ्फरपुर
उन्होंने कहा कि ऊषा मंगेशकर उनकी बहन हैं। उनके कार्यक्रम को मुजफ्फरपुर में कराने का अवसर मिला है। वह मुजफ्फरपुर में आईं तो नितिन मुकेश भी उनके साथ आए थे। बड़ा शानदार कार्यक्रम हुआ था। विजय खरे कहते हैं कि यह कार्यक्रम खुदीराम बोस खेल मैदान में आयोजित हुआ था।ब्लड बैंक की सहायता के लिए कार्यक्रम था। भव्य मंच बना था।
सफल कार्यक्रम था। जब उन्होंने जय-जय संतोषी मां.. गाना सुनाया तो उपस्थित लोग झूमने लगे थे। ऊषा मंगेशकर ने कहा था कि यह कार्यक्रम सफल हुआ। वह दीदी से जरूर इसकी चर्चा करेंगीं। बाद में उन्होंने ऐसा किया भी था।
इससे लता मंगेशकर खुश हुई थीं, किंतु लता मंगेशकर के मुजफ्फरपुर आने का संयोग कभी नहीं बन सका। विजय खरे कहते हैं उन्हें मन में एक कसक रह गई।
काश लता जी को भी वह मुजफ्फरपुर ला पाते और यहां के लोगों को देखने-सुनने का मौका मिलता। दूसरी ओर उनके निधन पर सांसद अजय निषाद ने भी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि देशरत्न लता मंगेशकर का जाना समाज ही नहीं देश का बहुत बड़ा नुकसान है। जिसकी भरपाई नहीं हो सकती। उन्हें श्रद्धांजलि।