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Samrat Prithviraj: अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और मानुषी छिल्लर (Manushi Chhillar) स्टारर फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ (Samrat Prithviraj) रिलीज हो गई है. इस फिल्म का जमकर प्रमोशन किया गया और इससे सबको काफी उम्मीदें भी हैं. हिंदू सम्राट पृथ्वीराज के जीवन से जुड़ी वीरता की कहानी को पर्दे पर दिखाया जा रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि चौहान वंश में पैदा हुए पृथ्वीराज के जीवन की कहानी.
1166 में अजमेर के राजा सोमेश्वर चौहान के यहां पैदा हुए थे पृथ्वीराज चौहान. बचपन से ही प्रतिभासंपन्न पृथ्वीराज चौहान ने पिता की मौत के बाद मात्र 13 साल की उम्र में गद्दी संभाल ली थी. बचपन से ही तेज तर्रार और योद्धा के गुणों से भरपूर अपने पोते को देख उनके दादा अंगम बेहद खुश हुए. तलवार और तीरंदाजी में निपुण पृथ्वीराज को दादा ने दिल्ली के सिंहासन का उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा कर दी.
पृथ्वीराज चौहान को 6 भाषाओं का ज्ञान था
6 भाषाओं में पारंगत पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध कला के साथ-साथ गणित, इतिहास, चिकित्सा शास्त्र, पुराण की भी शिक्षा ली थी. इतिहासकारों की माने तो पृथ्वीराज चौहान की सेना में करीब 3 सौ हाथी और करीब 3 लाख सैनिक शामिल थे. पृथ्वीराज का राज्य राजस्थान से लेकर हरियाणा तक फैला हुआ था.
संयोगिता को स्वयंवर से लेकर चले आए थे पृथ्वीराज चौहान
सर्वगुण संपन्न राजा पृथ्वीराज चौहान की जिंदगी में ट्विस्ट तब आया जब उन्हें कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी राजकुमारी संयोगिता से प्रेम हुआ. हठ की वजह से पृथ्वीराज संयोगिता को स्वयंवर से ही अपने साथ ले गए और उनके साथ गंधर्व विवाह किया. चूंकि राजा जयचंद पृथ्वीराज चौहान को पसंद नहीं करते थे इसलिए शादी के लिए राजी नहीं थे. ऐसे में स्वयंवर से उनकी बेटी को ले जाने के बाद तो जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान को अपना दुश्मन मान लिया.
17 बार नाकामी के बाद मोहम्मद गौरी को मिला जयचंद का साथ
मुस्लिम शासक मुहम्मद गौरी ने सन 1175 से 1189 तक पृथ्वीराज चौहान पर कई बार आक्रमण किए लेकिन हरा नहीं सका. इतिहास में लिखा है कि 17 बार आक्रमण किया था और हर बार उसे पृथ्वीराज चौहान से शिकस्त खानी पड़ी थी. अपने उसूलों के पक्के पृथ्वीराज ने हर बार उसकी जान बख्श दी थी. लेकिन ढीठ मुहम्मद गौरी ने 18वीं बार फिर 1192 में आक्रमण किया. इस बार उसकी मदद पृथ्वीराज चौहान के ससुर राजा जयचंद ने की थी, ऐसे में पृथ्वीराज आखिरकार हार गए तो गौरी ने पृथ्वीराज को बंदी बना लिया और सजा के तौर पर उनकी आंखों में गर्म सलाखें दाग कर अंधा बना दिया.
दोहा सुन पृथ्वीराज चौहान ने शब्दभेदी बाण से ले ली गौरी की जान
पृथ्वीराज चौहान के बचपन के मित्र चंदरबरदाई जो प्रसिद्ध कवि थे, उनके सामने क्रूरता करते समय मुहम्मद गौरी ने कहा कि वह अपने मित्र से पूछे कि उनकी अंतिम इच्छा क्या है. इस पर पृथ्वीराज ने धनुष बाण चलाने की इच्छा जताई, जो उन्हें दिया गया. इसे चंदरबरदाई समझ गए और वहीं खड़े गौरी को देखते हुए एक दोहा कहा ‘चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान’. ये सुनते ही शब्दभेदी बाण चलाने में पारंगत पृथ्वीराज ने धनुष पर कमान कसी और वहां बैठे मोहम्मद गौरी को मार गिराया.
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पृथ्वीराज चौहान और चंदरबरदाई ने एक दूसरे को मार दिया
इतिहासकार बताते हैं कि इस घटना के बाद पृथ्वीराज चौहान और चंदरबरदाई ने अपनी दुर्गति से बचने के लिए एक दूसरे को भी मार दिया था. ये खबर जब पृथ्वीराज चौहान की पत्नी संयोगिता को मिली तो उन्होंने भी अपनी जान दे दी. तो ऐसे थे वीर योद्धा थे सम्राट पृथ्वीराज चौहान.
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प्रथम प्रकाशित : जून 03, 2022, 6:16 अपराह्न IST
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