Home Entertainment Death Anniversary: कैफ़ी आजमी ने ‘मिजवां’ को दिलाई दुनिया में पहचान, किसी फिल्मी कहानी की तरह हुई थी उनकी शादी

Death Anniversary: कैफ़ी आजमी ने ‘मिजवां’ को दिलाई दुनिया में पहचान, किसी फिल्मी कहानी की तरह हुई थी उनकी शादी

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Death Anniversary: कैफ़ी आजमी ने ‘मिजवां’ को दिलाई दुनिया में पहचान, किसी फिल्मी कहानी की तरह हुई थी उनकी शादी

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कैफ़ी आज़मी की पुण्यतिथि: कैफी आजमी (Kaifi Azmi) की आज पुण्यतिथि है. उत्तरप्रदेश के जिले आजमगढ़ के मिजवां गांव में पैदा हुए कैफी की वजह से इस गांव को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है. कैफी 20 साल पहले शायरी की दुनियां को सूना कर गए थे. उर्दू अदब को भारतीय सिनेमा में पहचान दिलाने वाले कैफी 10 मई 2002 में दुनिया को अलविदा कह गए थे. कैफी की खासियत यही रही कि उनके लिखे शेरो-शायरी आज आम जिंदगी का हिस्सा है. ‘तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो, किया गम है जो छुपा रहे हो..’ हम सब अक्सर इन पंक्तियों बोलते  हैं, इसके रचयिता थे कैफी आजमी. उनके बारे में यूं तो कई किताब लिखी जा सकती है लेकिन पुण्यतिथि पर बताते हैं उनकी जिंदगी के हसीन लम्हों का दिलचस्प किस्सा.

20 के दशक में मुशायरों में रंग जमा देने वाले कैफी आजमी ने हिंदी सिनेमा को अपने गीतों से जिंदगी का फलसफा समझाया तो दर्द भरे दिल पर मरहम भी लगाया. रोमांस, दर्द, तन्हाई की आवाज को अपने शब्दों में पिरो कर जब पेश किया तो लोग वाह-वाह कर उठे. ‘हीर रांझा’ में कैफी ने लिखा ‘तुम न मिलो तो हम घबराएं’ तो ‘कागज के फूल’ में लिखा ‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम..’. ऐसे शायर जब तक दुनिया में मोहब्बत रहेगी, तब कर दिलों में जिंदा रहेंगे.

11 साल की उम्र में लिखी पहली गजल
जिस उम्र में बच्चे अबोध माने जाते हैं उस उम्र में कैफी आजमी ने कविता-गजल की तमीज सीखने लगे थे. कहते हैं महज 11 साल की उम्र में कैफी ने पहली गजल लिखी थी. किशोर होते-होते तो मुशायरों में समां बांधने लगे थे. शेरो-शायरी-गजल का यही शौक उन्हें मुंबई ले आया. फिर क्या था ऐसी शोहरत मिली कि मिजवां से मुंबई से होते हुए दुनिया भर में कैफी आजमी के चर्चे होने लगे.

कैफी का नज्म सुन शादी की जिद कर बैठी एक लड़की
कैफी आजमी की शादी भी मुशायरे की ही देन है. इसका भी किस्सा बहुत मजेदार है. कहते हैं कि कैफी जब स्टेज पर आते थे तो उनकी आवाज, उनके हाव-भाव और नज्म सुनाने का तरीका इतना शानदार होता था कि सुनने वाले खो जाते थे. दरअसल, हैदराबाद के एक मुशायरे में कैफी ने ‘ताज’ नज्म सुनाई. एक हसीन लड़की कैफी के तरन्नुम की दीवानी हो गईं. उसने अपने अब्बा से कहा कि अगर वह शादी करेंगी तो सिर्फ कैफी से…हालांकि उनकी मंगनी मामू के बेटी से हो चुकी थी. उनके पिता ने पहले तो समझाने की कोशिश की लेकिन फिर कहा कि चलो मैं तुम्हें बंबई ले चलता हूं वहां कैफी की जिंदगी देखना फिर फैसला करना.

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कैफी से मिलवाने उसके अब्बा बंबई ले आए
वह लड़की कैफी से मिली फिर उनके अब्बा ने पूछा, अब बताओ करोगी निकाह..उसने कहा अगर वह मजदूरी भी करेंगे तो निकाह उन्हीं से करूंगी. फिर क्या था अब्बा ने निकाह करवा दिया. वह महिला थीं शौकत कैफी, जो खुद थियेटर की दुनिया का बड़ा नाम हैं. अपनी शादी की कहानी उन्होंने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में खुद सुनाया था.

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