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Samrat Prithviraj : हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म सम्राट पृथ्वीराज (Samrat Prithviraj) के विभिन्न पहलुओं को लेकर फिल्म की काफी आलोचना हो रही है. तमाम तरह की आलोचनाओं और फ़िल्म की ख़ूबियों को लेकर फ़िल्म के निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की.
उन्होंने पृथ्वीराज रासो से लेकर तमाम पुस्तकों का हवाला देते हुए फ़िल्म की विभिन्न मसलों पर हो रही आलोचनाओं को खारिज़ करते हुए तमाम विपरीत धारणाओं के मौजूद होने और अपनाए जाने की बात कही. फ़िल्म में पूरी तरह से हिंदी/संस्कृत शब्दों के इस्तेमाल नहीं करने और उर्दू/फ़ारसी के शब्दों के इस्तेमाल को लेकर हो रही आलोचनाओं पर निर्देशक ने ऐसे तमाम उदाहरण देकर बताया कि कैसे हमारे रोज़मर्रा के जीवन में सदियों से उर्दू, फारसी, तुर्क और अरबी शब्दों का इस्तेमाल से धड़ल्ले से हो रहा है जिन्हें स्वीकारा जा चुका है.
इतिहासकारों के मुताबिक सम्राट पृथ्वीराज की मौत 1192 में हुई थी और मोहम्मद घौरी की मौत 1206 में. मगर फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे पहले दिवंगत हुए पृथ्वीराज ने 14 साल बाद मोहम्मद घौरी को एक लड़ाई में मार गिराया था. इस सवाल पर निर्देशक द्विवेदी फिर से रेफर की गयी पुस्तकों में इस युद्ध और घटना का उल्लेख होने और खुद के इतिहासकार नहीं होने की बात कही.
फ़िल्म की अन्य तरह की आलोचनाओं पर भी एबीपी न्यूज़ से डॉ. द्विवेदी ने बात की. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने शूटिंग की मुश्किलों पर भी बात की. युद्ध के सीन्स फ़िल्माने से लेकर शूटिंग में शामिल सैंकड़ों लोगों को मैनेज करने की चुनौतियों का विस्तार से जिक्र किया. निर्देशक ने बताया कि मुगलकालीन आर्किटेक्चर से इतर 12वीं के भारतीय आर्किटेक्चर से जुड़े सेट्स लगाना और उसे पर्दे पर पेश करना उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी जिसके लिए उन्हें कड़ी रिसर्ज प्रक्रिया से गुजरना पड़ा.
निर्देशक ने फिल्म को मिले रहे जनता के प्रेम के सबका आभार जताया और फिल्म को लेकर निर्माता आदित्य चोपड़ा द्वारा उनकी प्रशंसा का विशेष तौर पर उल्लेख किया. तीन राज्यों में फिल्म के टैक्स फ्री होने से फ़िल्म के कारोबार में लाभ होने और आमतौर पर जनता द्वारा फ़िल्म को पसंद किये जाने पर भी निर्देशक ने अपनी ख़ुशी जताई.
हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म सम्राट पृथ्वीराज (Samrat Prithviraj) के विभिन्न पहलुओं को लेकर फिल्म की काफी आलोचना हो रही है. तमाम तरह की आलोचनाओं और फ़िल्म की ख़ूबियों को लेकर फ़िल्म के निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की.
उन्होंने पृथ्वीराज रासो से लेकर तमाम पुस्तकों का हवाला देते हुए फ़िल्म की विभिन्न मसलों पर हो रही आलोचनाओं को खारिज़ करते हुए तमाम विपरीत धारणाओं के मौजूद होने और अपनाए जाने की बात कही. फ़िल्म में पूरी तरह से हिंदी/संस्कृत शब्दों के इस्तेमाल नहीं करने और उर्दू/फ़ारसी के शब्दों के इस्तेमाल को लेकर हो रही आलोचनाओं पर निर्देशक ने ऐसे तमाम उदाहरण देकर बताया कि कैसे हमारे रोज़मर्रा के जीवन में सदियों से उर्दू, फारसी, तुर्क और अरबी शब्दों का इस्तेमाल से धड़ल्ले से हो रहा है जिन्हें स्वीकारा जा चुका है.
इतिहासकारों के मुताबिक सम्राट पृथ्वीराज की मौत 1192 में हुई थी और मोहम्मद घौरी की मौत 1206 में. मगर फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे पहले दिवंगत हुए पृथ्वीराज ने 14 साल बाद मोहम्मद घौरी को एक लड़ाई में मार गिराया था. इस सवाल पर निर्देशक द्विवेदी फिर से रेफर की गयी पुस्तकों में इस युद्ध और घटना का उल्लेख होने और खुद के इतिहासकार नहीं होने की बात कही.
फ़िल्म की अन्य तरह की आलोचनाओं पर भी एबीपी न्यूज़ से डॉ. द्विवेदी ने बात की. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने शूटिंग की मुश्किलों पर भी बात की. युद्ध के सीन्स फ़िल्माने से लेकर शूटिंग में शामिल सैंकड़ों लोगों को मैनेज करने की चुनौतियों का विस्तार से जिक्र किया. निर्देशक ने बताया कि मुगलकालीन आर्किटेक्चर से इतर 12वीं के भारतीय आर्किटेक्चर से जुड़े सेट्स लगाना और उसे पर्दे पर पेश करना उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी जिसके लिए उन्हें कड़ी रिसर्ज प्रक्रिया से गुजरना पड़ा.
निर्देशक ने फिल्म को मिले रहे जनता के प्रेम के सबका आभार जताया और फिल्म को लेकर निर्माता आदित्य चोपड़ा द्वारा उनकी प्रशंसा का विशेष तौर पर उल्लेख किया. तीन राज्यों में फिल्म के टैक्स फ्री होने से फ़िल्म के कारोबार में लाभ होने और आमतौर पर जनता द्वारा फ़िल्म को पसंद किये जाने पर भी निर्देशक ने अपनी ख़ुशी जताई.
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