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अत्याचार विरोधी विधेयक के लिए लघु फिल्म मिड हाउस कैफे: पाकिस्तान (Pakistan) में एक संस्था ने अत्याचार विरोधी बिल (Anti-Torture Bill) की जरूरत को आम जनता तक पहुंचाने का बेहद नायाब तरीका निकाला है. इस संस्था का नाम है जस्टिस प्रोजेक्ट पाकिस्तान (JPP). यह पाकिस्तान की एक गैर सरकारी संगठन है,जो कि कैदियों को न्याय दिलाने का काम करती है. इस संस्था ने अत्याचार विरोधी बिल की अहमियत को समझाने के लिए एक शॉर्ट फिल्म बनाई है, जो कि काफी मजेदार होने के साथ-साथ भावनाओं से भी जुड़ी हुई है.
अत्याचार विरोधी बिल को लेकर यह शॉर्ट फिल्म रविवार को प्रसारित की गई है. इस शो में पॉलिटिकल पार्टी परिवेश और मीडिया को दर्शाते हुए अत्याचार विरोधी बिल को उजागर करने की कोशिश की गई है. इस शार्ट फिल्म में अचानक न्यूज चैनल पर चर्चा के दौरान पॉलिटिकल पार्टी और विशेषज्ञों के बीच एंटी टार्चर यानि अत्याचार विरोधी बिल को लेकर कानून पास करने पर चर्चा को दिखाया गया है. जिसे एंटरटेन का भी रुप दिया गया है.
इसके अलावा इस शॉर्ट फिल्म में राजनेताओं के बीच चाय पर चर्चा के दौरान मीडिया के सनसनी फैलाने की बात से लेकर खुद के व्यवहार को लेकर तक बात करते हुए दिखाया गया है. यह इसके पात्र काल्पनिक हैं लेकिन इसमें राजनीतिक स्पेक्ट्रम और समाचार मीडिया परिदृश्य को बखूबी दिखाया गया है,
इसके पात्र न केवल आपको वास्तविक राजनेताओं की याद दिलाते हैं बल्कि अपने-अपने किरदारों को भी बखूबी निभाते नजर आ रहे हैं. फिल्म में कैफे में बैठकर अत्याचार विरोधी बिल के विरोध में राजनेताओं की चर्चा को भी काफी एंटरटेन बना दिया गया है. कुल मिलाकर इस शार्ट फिल्म में राजनैतिक परिवेश को दर्शाते हुए मिड हाउस कैफे के जरिए अत्याचार विरोधी बिल की जरूरत समझाने की बखूबी कोशिश की गई है. यह शॉर्ट फिल्म काफी सुर्खियां बटोर रही है.
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