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हाइलाइट्स
यशिता ने सफलता का श्रेय पिता शैलेंद्र सिंह को दिया है.
यशिता के पिता बच्चों को क्रिकेट की ट्रेनिंग देते हैं
यशिता बल्लेबाजी काफी अच्छी करती हैं
पटना. बिहार की बेटियां हर क्षेत्र में अपना नाम बना रही हैं. पूरी दुनिया भर में अपने हुनर का डंका बजा रही हैं. राजधानी पटना के आशियाना नगर की रहने वाली 16 वर्षीय यशिता ने क्रिकेट की दुनिया में कुछ ऐसी ही उपलब्धि हासिल की है. उनका चयन पहली बार होने जा रहे वुमन आईपीएल के ऑक्शन के लिये हुआ है. दुनिया भर से चुनी गई 350 महिला क्रिकेटरों में से यशिता ने भी अपने प्रदर्शन की बदौलत सेलेक्टरों का ध्यान आकर्षित कर यह मुकाम हासिल किया है.
गौरतलब हो कि विमेंस आईपीएल का आक्शन 13 फरवरी को होने जा रहा है. इस आक्शन में बिहार से 15 महिला क्रिकेटरों के भी नाम भेजे गए थे. जिसमें से एकमात्र यशिता के नाम पर मुहर लगी है. इसकी जानकारी बिहार क्रिकेट संघ में बीसीसीआई द्वारा आए पत्र के आधार पर दी. बीसीसीआई के विमेंस अंडर-19 टी 20 चैलेंजर ट्रॉफी में खेल चुकी यशिता की कहानी साल 2016 में रिलीज हुई आमिर खान की फिल्म दंगल जैसी ही है. यशिता पटना के एक निजी स्कूल की दसवीं क्लास की छात्रा है. यशिता को बचपन से ही क्रिकेट में रुचि थी. उसके पिता ही कोच हैं जिन्होंने अपनी बेटी को ट्रेनिंग देकर इस मुकाम तक पहुंचाया.
यशिता के पटना से बीसीसीआई तक के सफर की कहानी जानकर आप दंग रह जाएंगे. यशिता को क्रिकेट में शिक्षा देने वाला कोई पेशेवर कोच नहीं है बल्कि उसके पिता शैलेंद्र सिंह हैं. शैलेंद्र सिंह ने अपनी बेटी को स्कूली शिक्षा दिलवाने के साथ-साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस पर भी जोर दी. यही कारण है कि यशिता ने लगभग 50 से ज्यादा बोर्ड मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया. इस साल जुलाई में हुई सीरीज में यशिता ने छह मैचें खेलीं जिसमें सभी मे बढ़िया खेलते हुए 222 रन बनाए. मैच में नागालैंड के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करते हुए 138 रन बनाए. इसके बाद यशिता टॉप फाइव में आई और बीसीसीआई में चयन हो गया.
आपके शहर से (पटना)
यशिता सिंह बताती हैं कि क्रिकेट में मेरी रुचि बचपन से थी. अपार्टमेंट में भैया लोग के साथ क्रिकेट खेलती थी, लेकिन मैं टेनिस ज्यादा खेलती थी. पिता जी मेरे खेल पर हमेशा ध्यान देते थे और वो क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करते थे. उन्होंने 2019 में पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में होने वाले टूर्नामेंट में भाग लेने को कहा. मैंने भाग लिया और मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा. आगे यशिता ने कहा कि इसके बाद खेल में मेरी रूचि और बढ़ गई. मैं क्रिकेट पर विशेष ध्यान देने लगी. दो साल के कठिन परिश्रम से चैलेंजर ट्रॉफी में अपनी जगह बनाई.
उसने अपनी सफलता का श्रेय पिता शैलेंद्र सिंह को दिया. यशिता के पिता शैलेंद्र सिंह पटना यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं. वह यूनिवर्सिटी में क्रिकेट चैंपियन रहे थे. हालांकि उन्हें कभी बोर्ड में खेलने का मौका नहीं मिला. उनका सपना था कि जो मैं नहीं कर पाया वह उनके बच्चे करें. वह अपनी बेटी को क्रिकेट में बीसीसीआई तक ले गए. जीवन यापन के लिए उन्होंने टाइल्स मार्बल का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन कोरोना में व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया. इसके बाद शैलेंद्र सिंह अपने मित्र के एक एकेडमी में क्रिकेट के कोच का काम करने लगे. बच्चों को क्रिकेट की शिक्षा देने लगे. अभी वे लगभग 30 बच्चों को क्रिकेट की ट्रेनिंग देते हैं.
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टैग: आईपीएल नीलामी, महिला आईपीएल
पहले प्रकाशित : 08 फरवरी, 2023, 22:51 IST
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