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शुक्रवार को समिति की ऑनलाइन हुई बैठक में हिस्सा लेने वाले पीके गुप्ता ने इस पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि गैंडों को वीटीआर में फिर बसाने योजना के लिए संभावित रूप से पहचाने गए इलाके गनौली और मदनपुर हैं। फिलहाल वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में केवल एक गैंडा है। हालांकि, हमारे पास पटना चिड़ियाघर में भी 13 गैंडे हैं। इस योजना के फिर से शुरू होने के बाद वीटीआर में गैंडों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि होगी। बिल्कुल जैसा कि उत्तर प्रदेश में दुधवा बाघ अभयारण्य में हुआ था।
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पीके गुप्ता ने कहा कि पूरी दुनिया में एक सींग वाले गैंडों की आबादी का लगभग 75 फीसदी भारत में हैं। भारतीय गैंडों की 93 फीसदी से अधिक आबादी असम में सिर्फ एक संरक्षित क्षेत्र- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में रहती है। गुप्ता ने कहा कि योजना के अनुसार गैंडों को भीड़-भाड़ वाले निवासों से बाहर निकाला जाएगा और वीटीआर में चुने हुए इलाकों ट्रांसफर किया जाएगा। इसका उद्देश्य गैंडों को प्रजनन और आबादी बढ़ाने के लिए अधिक जगह उपलब्ध कराना है।
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