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रिपोर्ट- अविनाश सिंह
लखीसराय: जिस तरह हिंदू धर्म में पूर्णिमा काफी महत्वपूर्ण है, ठीक उसी प्रकार अमावस्या भी काफी अहम स्थान रखता है. अमावस्या को लेकर हिंदू धर्म में कई मान्यताएं और अवधारणाएं भी है. ऐसी मान्यताएं है कि अमावस्या पितरों को प्रसन्न करने के लिए समर्पित है. वहीं दूसरी मान्यताओं के अनुसार अमावस्या की रात को निशाचारी भी कहा जाता है. ज्योतिषाचार्य विनय कुमार झा बताते हैं कि शास्त्र के अनुसार कृष्ण पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती है, उसी प्रकार कृष्ण पक्ष में दैत्य आत्माएं सक्रिय रहती है. अमावस्या के दिन भूत -प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर और दैत्य काफी उन्मुक्त और सक्रिय रहते हैं. वैशाख की अमावस्या हिंदू नववर्ष की पहली आमवास्या कहलाती है. यह आगामी 20 अप्रैल को दिन गुरुवार को है.
मंत्र साधना और पितरों के लिए भी काफी महत्पूर्ण
ज्योतिषाचार्य विनय कुमार झा बताते हैं कि इस दिन लोग श्राद्ध कर्म और पिंडदान कर अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं. ऐसा करने के उनके पितर काफी प्रसन्न होते हैं और उन्हें मुक्ति भी प्रदान होती है. अगर कोई परिवार इस दिन अपने पितरों के लिय विधिवत पिंड दान और श्राद्धकर्म करता है तो सदैव उन्हें उनके पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वहीं यह अमावस्या मंत्रसाधकों के लिए भी अहम और महत्वपूर्ण है. इस काली स्याह रात में मंत्र साधक अपनी मंत्र सिद्धि करते हैं. मान्यताओं के अनुसार वैसाख अमावस्या की रात सिद्ध की गई मंत्र काफी प्रभावी होती है. इसलिए मंत्र साधक इस रात को सिद्धि की रात भी कहते हैं. इस वर्ष वैशाख अमावस्या दिन गुरुवार 20 अप्रैल को है. यह अमावस्या दिन बुधवार 19 अप्रैल के सुबह 11 बजकर 25 मिनट से आरंभ होकर दिन गुरुवार 20 अप्रैल के सुबह 9 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी.
दूर होगी कुंडली से काल सर्पदोष
ज्योतिषाचार्य विनय कुमार झा बताते हैं कि यह अमावस्या वैसे लोगों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है, जिनके कुंडली में कालसर्प दोष है. यह काल सर्पदोष काफी अशुभ माना जाता है और इसको दूर करने के उपाय भी काफी कठिन है. लेकिन वैशाख की अमावस्या में मामूली उपायों से इस दोष से जातक मुक्ति पा सकते हैं. इस दिन जातक को उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में जा कर विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए. ऐसा करने ने उनका काल सर्पदोष खत्म हो जाता है.
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पहले प्रकाशित : 16 अप्रैल, 2023, 08:07 पूर्वाह्न IST
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