[ad_1]
महिलाओं में खून की कमी से कई तरह के खतरे उभरते हैं।
– फोटो : Istock
विस्तार
केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने देश से 2047 तक एनीमिया के उन्मूलन की बात कही है। बिहार में यह समस्या काफी गंभीर है। खासकर बच्चों-महिलाओं को बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है। सरकार आयरन की गोलियां बांट तो रही है, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी रोजाना बड़ी संख्या में सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में स्त्री रोगियों को इससे जूझते देखा जा रहा है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के सामने इस जमाने में कई बार एनीमिया से मौत के मामले सामने आ चुके हैं। आंकड़े भी यही गवाही दे रहे। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, बिहार में 64% महिलाएं और 64.4% बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। ऐसे में ‘अमर उजाला’ ने राज्य की दो ख्यातिनाम स्त्री रोग विशेषज्ञों और एक सीनियर फिजिशियन से इस समस्या की गंभीरता को समझा और सरकार के मिशन 2047 पर उनकी राय पूछी। जानने का प्रयास किया कि आखिर कमी कहां है और एनीमिया उन्मूलन में सरकार को बिहार में किस हिसाब से काम करना होगा।
[ad_2]
Source link