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बिहार की अमृता राज
– फोटो : unicef
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यूनिसेफ इंडिया : संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ बाल अधिकारों को प्रोत्साहित और संरक्षित करने का कार्य करता है। दुनियाभर में बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा व समग्र विकास के लिए यूनिसेफ अपनी स्थापना के बाद से प्रयासरत है। भारत में यूनिसेफ की कार्यप्रणाली और सहभागिता अधिक है। लगभग पिछले 70 वर्षों से यूनिसेफ भारत के बच्चों और उनके परिवारों के जीवन को सुधारने के दिशा में कार्य कर रहा है। यूनिसेफ इंडिया देश के सभी लड़के और लड़कियों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है। यूनिसेफ लैंगिग समानता और किशोरियों को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है। इसी कार्य के तहत भारत की कई किशोरियों को यूनिसेफ ने सहयोग किया और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। अमर उजाला भारत की उन लड़कियों व महिलाओं को लेकर एक सीरीज जारी कर रहा है, जिनका जीवन यूनिसेफ की मदद से बदला। आइए जानते हैं यूनिसेफ के प्रयास से अपने कदमों पर खड़ी भारतीय किशोरियों की कहानियां।
बिहार की अमृता राज
20 साल की अमृता राज बिहार के पटना की रहने वाली हैं। अमृता एक एथलीट हैं और कराटे से ताल्लुक रखती हैं। यूनिसेफ और किलकारी के प्रयास और सहयोग से अमृता राज एक सशक्त किशोरी बनकर उभरीं। किलकारी मानव संसाधन शिक्षा विभाग द्वारा विभिन्न राज्यों में स्थापित राज्य ‘बाल भवन’ है। किलकारी की शुरुआत साल 2008 में हुई, जिसमें यूनिसेफ का भी सहयोग रहा।
किलकारी योजना क्या है?
साल 2008 में यूनिसेफ की मदद से शुरू हुई किलकारी योजना गर्भवती महिलाओं, किशोरियों और शिशुओं के स्वास्थ्य और विकास से जुड़ी है। इस योजना को कई राज्य सरकारों से वित्तीय सहायता प्राप्त है। बिहार सरकार भी किलकारी योजना को वित्तीय सहायता देती है।
किलकारी और यूनिसेफ की मिली अमृता को मदद
बिहार की ही अमृता राज किलकारी अभियान का हिस्सा है और यूनिसेफ से सहयोग प्राप्त हैं। किलकारी योजना के तहत अमृता राज ने कराटे का प्रशिक्षण लिया। एक दौर था कि कराटे, बॉक्सिंग जैसे खेल लड़कियां नहीं खेलती थीं। माना जाता था कि इस तरह के खेल लड़कियों के लिए नहीं हैं। लेकिन अमृता राज ने कराटे में प्रसिद्धि पाई। आज वह बच्चों को कराटे सिखाती हैं। कई लड़कियां अमृता राज को देखकर प्रेरित हुईं और कराटे सीखने के लिए आगे आईं।
अमृता राज को बनाया सशक्त
बच्चियों को स्वस्थ शरीर और आत्मरक्षा के लिए कराटे का गुण सिखाने वाली अमृता राज को उनके इस प्रयास में परिवार और शिक्षकों का सहयोग भी मिला। इतना ही नहीं खुद अमृता राज का कराटे के कारण जीवन बदला। कराटे खेलने की वजह से अमृता को खेल कोटे में बीएससी (नर्सिंग) में दाखिला मिल सका। वर्तमान में अमृता सिंह बीएससी की पढ़ाई करने के साथ ही बच्चियों को कराटे सिखाती हैं और खुद भी कराटे के जरिए अन्य के लिए प्रेरणा बन गईं हैं।
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