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बिहार सरकार ने 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था। कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है। शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी कानून लागू होने के चलते अदालती मामलों की बढ़ती तादाद के चलते ये सवाल किए हैं। बढ़ते मामलों के चलते पटना हाई कोर्ट के 26 में से 16 जज शराबबंदी से जुड़े केस की सुनवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के लगभग हर बेंच में शराबबंदी कानून से जुड़ी याचिकाएं हैं। इसलिए यह जानना जरूरी है कि बिहार सरकार ने इन कानूनों को लागू करने से पहले कोई अध्ययन किया था या नहीं। यह समझना भी जरूरी है कि कानून लागू करते समय बुनियादी न्यायिक व्यवस्था का आकलन किया गया था या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा कि इस कानून से जुड़े कई मामले न्यायालयों में आ रहे हैं। निचली अदालत और उच्च न्यायालय दोनों में जमानत याचिकाओं की बाढ़ आ गई है। हालत यह हो गई है कि हाई कोर्ट के 16 जजों को इसी से संबंधित मामलों की सुनवाई करनी पड़ रही है। कोर्ट ने बिहार सरकार को कहा है कि कानून लागू करने से पहले किए गए अध्ययन को वह उसके सामने पेश करे।
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