[ad_1]
डॉक्टर और परिजन के बीच सुपौल पुलिस ने 40 हजार रुपए में सेटिंग करा दी। मौत का सौदा हो गया। न कोई शिकायत और न ही कोई कार्रवाई। मामले का ऑन द स्पॉट दारोगा जी ने फैसला कर दिया। जबकि परिजन इस मैनेज से खफा थे। लेकिन पुलिस की मौजूदगी के कारण उनकी एक न चली। हालांकि इस वीडियो की मामले में सदर एसडीपीओ ने जांच कर कानूनी कार्रवाई किए जाने का बात कही है।
सुपौल के लाइफ लाइन अस्पताल में ‘कांड’
सुपौल के नया नगर में लाइफ लाइन हॉस्पिटल है। इसके बोर्ड पर डॉक्टर घनश्याम सिंह, डॉक्टर राजीव रंजन, डॉक्टर निमित कुमार, डॉक्टर दिनेश कुमार, डॉक्टर अजय कुमार कुंदन और डॉक्टर डीके मिश्रा जैसे नामचीन डॉक्टरों की डिग्री से लेकर रजिस्ट्रेशन नंबर तक लिखा हुआ है। लाइफ लाइन हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर के साथ-साथ आईसीयू और एनआईसीयू तक की सुविधा देने का दावा किया जाता है। ये सब कुछ उसके बड़े से बोर्ड पर लिखा हुआ है और इसी लाइफ लाइन अस्पताल में लाश की डील की गई।
अस्पताल पर लापरवाही का आरोप
दरअसल, सुपौल के लाइफ लाइन हॉस्पिटल में बुधवार को सदर थाने के कुम्हैट गांव के रहने वाले विनोद यादव के चार साल के बेटे को सर्दी-खांसी की शिकायत पर भर्ती कराया गया। मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में उसका इलाज रात के 10 बजे तक चला। जिसके बाद डाक्टरों की लापरवाही के कारण बच्चे की मौत हो गई। इस दौरान अस्पताल वालों ने मरीज के परिजनों से करीब 60-70 हजार रुपए बिल जमा करवा लिए। जिसके बाद रात के 12 बजे मरीज के परिजनों को बच्चे की मौत होने की सूचना देकर अस्पताल को बंद कर दिया गया।
शव मांगने पर परिजनों की हुई पिटाई
मरीज के परिजनों ने बच्चे का शव मांगा तो वहां मौजूद अस्पतालकर्मियों ने पिटाई कर दी। शव को एम्बुलेंस में डालकर दूसरे जगह भेज दिया। जिसके बाद परिजनों ने सुबह अपने कुछ गांव वालों के साथ अस्पताल पर आ गए। तब तक पुलिस भी बिन बुलाए मेहमान की तरह मामले को मैनेज करने वहां पहुंच गई।
डॉक्टर और पुलिस की मौजूदगी में लाश की बोली
सुपौल के लाइफ लाइन अस्पताल के डॉक्टर और पुलिस ने मिलकर लाश की बोली लगाई। तुरंत ही परिजन के साथ मौजूद किसी शख्स के फोन-पे पर 20 हजार ट्रांसफर कर दिया गया। फिर पुलिस ने 20 हजार नकद दिलाकर मामले को वहीं रफा-दफा कर दिया। जिसके बाद सदर थाने से परिजनों को बच्चे की लाश मिल सकी। इन सारी करतूतों का वीडियो कैमरे में कैद है। इस वीडियो में मैनेज करते सदर थाना इंचार्ज मनोज कुमार महतो और अपर थानाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह देखे जा सकते हैं। इस बाबत सदर SDPO कुमार इंद्र प्रकाश का कहना है कि मामले पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
[ad_2]
Source link