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रिपोर्ट:अंकित कुमार सिंह
सीवान: बिहार के सीवान जिले में किसान पारंपरिक खेती को छोड़ अब नगदी फसल की ओर रुख करने लगे हैं. नकदी फसल की खेती करने से किसानों को मुनाफा भी हो रहा है. किसान खुद की खेती करने के साथ अन्य किसानों को भी नगदी फसल की खेती करने की सलाह देकर प्रेरित कर रहे हैं. सीवान जिले में हाल के वर्षों में सैकड़ों किसान पारंपरिक खेती छोड़ नगदी फसल उपजाने लगे हैं तथा सालाना लाखों में कमाई कर रहे हैं. इससे अन्य किसान भी प्रेरित होकर सीख ले रहे हैं. ऐसा ही एक किसान नौतन के रहने वाले अभय दुबे हैं जो पहले तो अफगानिस्तान में काम करते थे, लेकिन अब अफगानिस्तान से वापस आने के बाद गांव में ही केला की खेती कर सालाना 3 से 4 लाख तक की कमाई कर रहे हैं. साथ ही क्षेत्र में अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गए हैं.
अभय पारंपरिक खेती छोड़ कर रहे हैं केले की खेती
सीवान जिले के नौतन प्रखंड के रहने वाले अभय दुबे पहले अफगानिस्तान में काम कर घर की जीविका चलाते थे. अफगानिस्तान हालात खराब हो जाने के बाद जॉब छोड़ वापस अपने पैतृक गांव आ गए. जहां वे कुछ वर्षों तक पारंपरिक खेती की. हालांकि मुनाफा नहीं हो पा रहा था तो उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क कर केला की खेती करने की कवायद शुरू की. जिसमें उन्हें अच्छी-खासी आमदनी होने लगी. उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर केला की खेती करना शुरू कर दिया. अपने 13 कट्ठे जमीन में केला की खेती कर सालाना 4 लाख मुनाफा कमा रहे हैं.
अन्य किसानों के लिए बने प्रेरणा के स्रोत
नौतन के किसान बताते हैं कि पूर्वजों से चली आ रही पारंपरिक खेती को ही हमलोग आगे बढ़ा रहे थे. इसी के जरिए जीविका चलाते आ रहे थे. आज भी लोग पारंपरिक खेती ही कर रहे है. हालांकि अभय दुबे के द्वारा किए जा रहे केला की खेती को देखते हुए गांव के किसान प्रेरित होने लगे हैं और अब पारंपरिक खेती छोड़कर नगदी फसल केला की खेती करना शुरू कर कर दिया है.
मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं रहने से किसानों को होता है नुकसान
अभय दुबे ने न्यूज 18 लोकल को बताया कि अगर केले की खेती 2 से 3 एकड़ भूमि पर की जाए तो उसमें 50 प्रतिशत का इनकम होगा. हालांकि दुख इस बात की है कि सरकार के द्वारा मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं की गई है. खुदरा विक्रेताओं को अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है. वही लगाने वालों को कम फायदा होता है अगर मार्केटिंग की व्यवस्था हो जाती तो किसानों को काफी मुनाफा होता.
उद्यान विभाग से मिला था खेती करने का सुझाव
अभय दुबे बताते हैं कि वे पहले अफगानिस्तान में काम करते थे. काम छोड़ने के बाद वे अपने पैतृक गांव आए. जहां उद्यान विभाग से उन्हें केला की खेती करने का सुझाव मिला. जिसके बाद वह 5 वर्षों से केला की खेती कर रहे हैं. मात्र 13 कट्ठे की भूमि पर केला की खेती कर सलाना 3.5 से 4 लाख तो वहीं महीने का 30 से 35 हजार रुपए कमाते हैं. वे कहते हैं कि बृहद पैमाने पर खेती करने से महीने का 60 से 70 हजार रुपए तक कमाया जा सकता है.
G-9 केला के पौधे का किया है खेती
अभय दुबे ने बताया कि उन्हें 5 से 10 रुपए प्रति पौधा की दर से केले की G-9 किस्म उद्यान विभाग से प्राप्त हुआ. जो महज नौ माह में तैयार हो जाता है. उन्होंने 13 कट्ठे में तकरीबन 500 केले के पौधे लगाए. उन्होंने बताया कि इस इलाके में पहली बार केले की खेती की जा रही है. जी-9 किस्म का केला बहुत ही पौष्टिक है और इसकी खेती उद्यान विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार कर रहे हैं. निःसंदेह केले की खेती से आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 27 दिसंबर, 2022, 19:58 IST
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