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रिपोर्ट : अंकित कुमार सिंह
सीवान: बिहार के सीवान में विगत वर्ष ही 6 नए नगर पंचायत बनाए गए हैं. जहा चुनाव संपन्न होने के पश्चात अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और वार्ड पार्षद शपथ ग्रहण करने के बाद विकास कार्यों को गति देने के लिए कार्य में लगे हुए हैं. वही अब सीवान जिले में एक नगर परिषद सहित कुछ 8 नगर पंचायत हो गए हैं.
वैसे पहले सीवान में एक नगर परिषद सीवान और दो नगर पंचायत मैरवा और महराजगंज था. हालांकि विगत दिनों हुए निकाय चुनाव के दौरान कई ग्राम पंचायतों का परिसीमन कर नए नगर पंचायत बना दिए गए. जिले के नवगठित 6 नए नगर पंचायतों में कौन-कौन सा टैक्स लगेगा तथा क्या-क्या सुविधाएं आम लोगों को मिलेंगी इसको जानने के लिए आम जनता काफी उत्सुक है.
गृह और व्यवसायिक कर सहित ये कर होंगे लागू
नवगठित नगर पंचायत गुठनी, आंदर और मैरवा के कार्यपालक पदाधिकारी परवेज आलम ने बताया कि नगर पंचायत का गठन होता है तो नगर पंचायत गठन होने के साथ ही सारी व्यवस्था सुनिश्चित होने लगती हैं और उसमें जनता को सारी सुविधाएं मिलने लगती है.
इसके लिए जो नया कर उनके ऊपर निर्धारण होता है उसमे गृह कर निर्धारण, दुकानदारों पर व्यवसायिक कर निर्धारण, ट्रेड लाइसेंस के लिए निर्धारित राशि के साथ ही व्यवस्थित ढंग से सभी मकान बने उसके लिए नक्शा पास कराना होता है. जिसका निर्धारित राशि देना होता है.
ग्राम पंचायत की अपेक्षा नगर पंचायत में मिलती है सुविधाएं
कार्यपालक पदाधिकारी ने बताया कि ग्राम पंचायत में एक तो सारी योजनाओं की व्यवस्था नहीं रह पाती है, खासकर रोशनी, लाइट, पानी और सड़कों की. हालांकि शहरी क्षेत्र होने के साथ ही यह सारी व्यवस्थाएं शहर के अनुकूल होने लगती है. इसलिए ग्राम पंचायत की अपेक्षा में इनको ज्यादा सुविधाएं मिलती है.
नवगठित नगर पंचायतों व नगर परिषद में आवश्यकता के अनुकूल व्यवस्था की जाती है. जिसमें मुख्यतः बस स्टैंड, सड़क निर्माण, लाइट, पानी की व्यवस्था, सार्वजनिक शौचालय, पार्क, जल निकासी के लिए नाला, रैन बसेरा, नगर पंचायत को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने में योगदान करना, नगरी क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त रखना सहित अन्य व्यवस्था होती है.
व्यवसाय के लिए लोन की व्यवस्था
नगर पंचायत या नगर निकाय होने के साथ ही जो फुटपाथ दुकानदार हैं, उनको प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से 10 हजार रुपए शुरू में मिलता है. इसके बाद आगे भी लोन की व्यवस्थाएं दी जाती है. उन्होंने आगे बताया कि ठेले वालों का निबंधन होता है और उनके लिए एक वेंडर जोन बनाया जाता है. जो अलग व्यवस्थित ढंग से फुटपाथ बनाकर उनको लगाया जाता है. जहा वे अपनी दुकानदारी करते हैं.
सीमांकन के लिए स्थानीय लोगों को देना होता है आवेदन
ईओ परवेज आलम ने बताया कि अगर सीमांकन के दौरान कोई छूट जाता है और अगर लगता है कि वह शहरी क्षेत्र के अनुकूल उनको होना चाहिए तो फिर से उनका सीमांकन होता है. उसके लिए वहां के स्थानीय जनता को आवेदन देना पड़ता है. उसकी जांच विभाग द्वारा कराया जाता है फिर उसका सीमांकन में छूटे हुए गांव को जोड़ दिया जाता है.
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पहले प्रकाशित : 22 फरवरी, 2023, 19:29 IST
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