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Siwan News : सिवान में एके 47 से फायरिंग का ठोक कर जवाब देंगे नीतीश के दुलरुआ पूर्व विधायक, सुन लीजिए
घटना के बाद जेडीयू नेता (JDU Leader) श्याम बहादुर सिंह (Shyam Bahadur Singh) का कहना है बहुत गलत बात है, इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है ‘लेकिन जे भी इ काम कइले बा… हिसाब होई जोड़ के होई… हम सीना ठोक के कहतानी, बख्शाई ना, जवाब दियाई…।’ ये बयान श्याम बहादुर सिंह के हैं। यानी जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया है वो बख्शा नहीं जाएगा। उसका हिसाब होगा, उसे जवाब दिया जाएगा।
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भाई पर गोली काहे चलवइलस … गोली हमरे प चलावे के चाही…!
अगर जेडीयू नेता श्याम बहादुर सिंह के ये शब्द काफी कुछ इशारा करते हैं। इसका साफ अर्थ निकाला जा सकता है कि श्याम बहादुर सिंह को अंदेशा है कि इस घटना को किसने अंजाम दिया है। आखिर वो किससे हिसाब की बात कर रहे हैं? वहीं, उन्होंने ये बात भी साफ तौर पर कहा कि ‘भाई के चुनाव हम लड़वइली… गोली हमरे प चले के चाही। ये बयान साफ करता है कि श्याम बहादुर को पता है कि रईस पर गोली क्यों चली। इतना ही नहीं, ये पांचों AK47 किसके हैं इसकी भी जानकारी हो सकती है। श्याम बहादुर ने कहा जोड़ के हिसाब होगा… मगर किससे? ये अभी सवाल है।
बताते चलें कि जब रईस खान पर गोली चली तो उसके तुरंत जब रईस खान (Rayees Khan) मीडिया से पहली बार मुखातिब हुए उस वक्त भी श्याम बहादुर साथ थे। बड़ा सवाल वो तस्वीरें ही उठातीं हैं। अमूमन नशे में रहने वाले और अपनी नौटंकी के लिए जाने जाने वाले 60 साल के बुजुर्ग नेता श्याम बहादुर जो कह रहे हैं उनकी बातें कितनी हल्की हैं ये तो वक्त बताएगा।
क्या ये शुरुआत है?
अगर जेडीयू नेता की बात को गंभीरता से लिया जाए तो कहा जा सकता है कि ये घटना बिहार में गैंगवार की वापसी कर सकता है। वर्चस्व की लड़ाई और गैंगवार (Gang War) के इतिहास को देखा जाए तो ऐसी ही घटनाएं, कई बड़ी घटनाओं को जन्म देती हैं। अगर भोजपुर (Bhojpur) बेल्ट सिवान के इतिहास की बात की जाए तो वो रक्त रंजित ही रहा है। भले ही बिहार (Bihar) में सुशासन की सरकार हो, बड़े माफियाओं (Mafiya) से समझौता हो गया हो लेकिन सिवान और शहाबुद्दीन आज भी एक दूसरे के पर्याय हैं। सिवान को जानने वालों की मानी जाए तो भले ही शहाबुद्दीन (Shahbuddin) की मौत हो चुकी है, लेकिन शहाबुद्दीन की गद्दी अब भी खाली नहीं है। अपराध की दुनिया को समझने वालों की मानी जाए तो इस दुनिया की गद्दी कभी खाली नहीं होती, इस पर कब्जे की कोशिश होती रहती है। जो ऐसी घटनाओं के रूप में सामने आती है।
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