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मुंगेर. बिहार के मुंगेर की धरती हमेशा के वीर योद्धाओं के लिए जानी जाती रही. इस पहचान को एकबार फिर पुख्ता किया है मुंगेर के आकाश कुमार बादल और देवसंत कुमार ने. इन दोनों को राष्ट्रपति वीरता पुलिस पदक से सम्मानित किया गया.
बता दें कि मुंगेर शहर के कटघर के रहनेवाले बिहार पुलिस से रिटायर्ड इंस्पेक्टर हरिनंदन पासवास का मंझला बेटा है आकाश, जबकि बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत नया छावनी के रहनेवाले मिथिलेश प्रसाद यादव के बेटे हैं सीआरपीएफ जवान देव संत कुमार. आकाश की शुरुआती शिक्षा मुंगेर जिला स्कूल में हुई. मुंगेर के ही आरडी एंड डीजे कॉलेज में उन्होंने आगे की पढ़ाई की. साल 2013 में आकाश ने सीआईएसएफ में बतौर कॉन्स्टेबल जॉइन किया था. 2015 में आकाश ने सीपीओ की परीक्षा दी और सीआरपीएफ में सबइंस्पेक्टर के रूप में 183 बी बटालियन में पुलवामा में तैनात हुआ. पुलवामा में आतंकी हमले के बाद रिलीफ के लिए पहुंच कर उसने अपने कर्तव्य का पालन किया.
31 मई 2019 को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी के छुपे होने की सूचना पर आकाश ने अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देता हुए अपनी टीम की अगुवाई की. पुलवामा के तराल में हुए एनकाउंटर में उन्होंने 2 आतंकवादियों – यावर अहमद नजर और जुनैद अहमद – को मार गिराया था. आज शौर्य दिवस के मौके पर केंद्र सरकार के गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने आकाश को राष्ट्रपति वीरता पुलिस पदक से सम्मानित किया.
देव संत कुमार दूसरी बार हुए सम्मानित
मुंगेर के लाल सीआरपीएफ जवान देवसंत दूसरी बार राष्ट्रपति के पुलिस वीरता पदक से दिल्ली में सम्मानित किए गए. मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत नया छावनी के रहनेवाले मिथिलेश प्रसाद यादव के बेटे सीआरपीएफ जवान देवसंत कुमार ने फिदायीन हमले को नाकाम किया था. यह हमला श्रीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बीएसएफ के 182 बटालियन के कैंप पर हुआ था. 3 खूंखार आतंकवादी सीआरपीएफ की वर्दी पहनकर घुस आए थे. देवसंत कुमार ने आमने सामने की लड़ाई में एक आतंकवादी को मार गिराया था और बीएसएफ के 5 जवानों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था. इस अदम्य साहस, निष्ठा और कर्तव्यपरायणता के लिए उन्हें राष्ट्रपति के पुलिस वीरता पदक दिया गया. इससे पहले भी देवसंत को राष्ट्रपति वीरता पुलिस पदक से नवाजा जा चुका है.
इस खुशी के मौके पर देवसंत ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूं और भारत की तरफ आंख उठाकर देखने वालों का सीना चीर देने का काम करता हूं. आज मुझे दूसरी बार इस मेडल से नवाजा गया. मैं बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं.
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