Home Bihar Sharad Yadav Passed Away: लालू यादव बोले- आपसी मतभेदों के बीच बड़े भाई शरद से कभी नहीं रही कड़वाहट

Sharad Yadav Passed Away: लालू यादव बोले- आपसी मतभेदों के बीच बड़े भाई शरद से कभी नहीं रही कड़वाहट

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Sharad Yadav Passed Away: लालू यादव बोले- आपसी मतभेदों के बीच बड़े भाई शरद से कभी नहीं रही कड़वाहट

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शरद यादव

शरद यादव
– फोटो : social media

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राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उनके आपसी मतभेदों के कारण कभी भी किसी प्रकार की कड़वाहट नहीं हुई।

मधेपुरा लोकसभा सीट पर यादव के साथ चुनावी लड़ाई में शामिल रहे लालू यादव ने सिंगापुर के अस्पताल से एक वीडियो बयान जारी किया। लालू वहां गुर्दा प्रत्यारोपण सर्जरी से स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। शरद यादव को बड़े भाई के रूप में संदर्भित करते हुए लालू ने दिवंगत नेता के साथ अपने पुराने जुड़ाव को याद किया। उन्होंने कहा, दिवंगत मुलायम सिंह यादव के अलावा नीतीश कुमार और समाजवाद की राजनीति राम मनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर से सीखी।

फोर्टिस अस्पताल ने जारी किया बयान

गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बयान जारी करते हुए कहा, शरद यादव को बेहोशी की हालत में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में इमरजेंसी में लाया गया था। जांच करने पर उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी और रक्तचाप भी मापने योग्य नहीं था। एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत उनका सीपीआर किया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य नहीं किया जा सका और रात 10 बजकर 19 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। हम उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके थे

शरद यादव जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। उनका नाम देश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार किया जाता था। उनके करीबियों के मुताबिक, शरद यादव का राजनीतिक कद इतना ऊंचा था कि जब वे बोलते थे तो पूरा देश सुनता था। मंत्री रहे हों या विपक्ष के सांसद, उनके सामने कभी कोई ऐसा सवाल नहीं आया जिसका जवाब उन्हें नहीं सूझा हो। उनका जवाब सुनकर प्रश्न पूछने वाले चुप रह जाया करते थे।

शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में किसान परिवार में हुआ था। किसान के घर जन्मे शरद पढ़ने लिखने में काफी तेज थे। छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया था। शरद यादव ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया था। नीतीश कुमार से हुए विवाद के बाद उन्होंने जदयू का साथ छोड़ दिया था। वो बिहार की मधेपुरा सीट से कई बार सांसद रह चुके थे।

वे डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से बहुत प्रेरित थे। उन्हीं से प्रेरणा पाकर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं, वे MISA के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में जेल भी गए। सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने साल 1974 में कदम रखा था तब वे वे पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। वे कुल सात बार यूपी एमपी और बिहार से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रहे।



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