Home Bihar Sharad Yadav Death: बिहार का नहीं होकर भी शरद यादव ने कई बार निभाई थी किंग मेकर की भूमिका, जानें कैसा था उनका राजनीतिक सफर

Sharad Yadav Death: बिहार का नहीं होकर भी शरद यादव ने कई बार निभाई थी किंग मेकर की भूमिका, जानें कैसा था उनका राजनीतिक सफर

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Sharad Yadav Death: बिहार का नहीं होकर भी शरद यादव ने कई बार निभाई थी किंग मेकर की भूमिका, जानें कैसा था उनका राजनीतिक सफर

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पटना. बिहार में अधिकांश लोगों को यह नहीं पता है कि दिवंगत शरद यादव बिहार के मूल निवासी नहीं रहे थे. दरअसल शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) में हुआ था. लेकिन, उनकी कर्मभूमि बिहार (Bihar) रही. संसदीय क्षेत्र मधेपुरा से वह कई बार चुनाव लड़ चुके थे. वहां की मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज था. प्रख्यात समाजवादी नेता और राम मनोहर लोहिया के अनुयायी शरद यादव कई सालों तक बिहार की राजनीति में अहम भूमिका अदा करते रहे. लेकिन, शरद यादव खुद कभी किंग नहीं बने. हालांकि बिहार के संदर्भ में देखें तो वे कई बार किंग मेकर की भूमिका में जरूर रहे थें.

1990 के बाद से कुछ साल पहले तक उन्होंने बिहार की राजनीति को अपने दम पर अच्छा खासा प्रभावित किया. सच पूछा जाए तो पिछले तीन दशकों से जो न्याय के साथ विकास के नारा पर सरकारें चलती रही हैं, उसके केंद्र में शरद यादव ही रहें. साल 1990 में  जब जनता दल के सरकार के गठन की बारी आई तब शरद ने लालू प्रसाद का साथ दिया. फिर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुआई में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनी तब भी शरद नीतीश कुमार के साथ थे.

मधेपुरा में बनाया था घर, मतदाता सूची में भी दर्ज था नाम

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हालांकि बारी-बारी से उनका लालू यादव (Lalu Yadav) और नीतीश-दोनों के साथ अलगाव भी हुआ. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों से शरद यादव के संबंध बनते बिगड़ते रहे. शरद का निधन राजद के सदस्य के रूप में ही हुआ. यानी उनकी राजनीतिक यात्रा का प्रारंभ और अंत एक ही धारा-सामाजिक न्याय की धारा में हुआ. मधेपुरा से चार बार लोकसभा के लिए चुने जाने वाले शरद यादव ने  मधेपुरा में मकान बना लिया था. स्थानीय मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज था.

बेटे के साथ लालू- नीतीश से की थी मुलाकात

केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी उनकी भागीदारी बिहार के सांसद के रूप में दर्ज की गई. उनकी पुत्री सुहाषिणी 2020 में बिहार से कांग्रेस टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ीं. लेकिन, उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था. शरद पिछली बार अपने पुत्र शांतनु बुंदेला के साथ पटना आए थे. उस यात्रा में उन्होंने लालू प्रसाद और नीतीश कुमार से मुलाकात की थी. माना गया कि शरद यही कहने आए थे कि उनकी राजनीतिक पारी अंतिम दौर में है. लालू और नीतीश उनके पुत्र-पुत्री पर ध्यान दें. जनता दल, राजद और जदयू के कई नेताओं के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध थे. अलगाव के बाद भी ये संबंध बने रहे.

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लालू यादव ने शरद यादव को बताया महान समाजवादी नेता

शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि उन्हें बड़े भाई शरद यादव के निधन से गहरा आघात लगा है. उन्होंने कहा कि इस निधन से मैं विचलित हुआ हूं. उन्होंने शरद यादव को महान समाजवादी नेता बताया. लालू यादव ने कहा कि शरद यादव कोई भी बात अपने तरीके से करते थे. लालू यादव ने भगवान से शरद यादव की दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोक संतप्त परिवार को धैर्य और साहस देने की कामना की.

उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि शरद यादव का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है. तेजस्वी यादव ने कहा कि शरद यादव  हमारे अभिभावक थे. आज देश जिस दौर से गुजर रहा है. सांप्रदायिक आधार पर विभाजन कराया जा रहा है. देश की संपत्ति बेची जा रही है. इन सबके खिलाफ चल रही लड़ाई में शरद यादव की कमी बहुत खलेगी.

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