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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संपूर्ण क्रांति दिवस के एक दिन बाद सोमवार को पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए पुरानी यादों में खो गए, जब वह स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण द्वारा “संपूर्ण क्रांति” के आह्वान के साथ इतिहास बनने के साक्षी बने थे। वह पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे कि क्या अगले दो वर्षों में होने वाले ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ की “स्वर्ण जयंती” मनाने की कोई योजना है।
नीतीश कुमार ने कहा कि लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी के आदर्शों से ही हम लोगों ने सीख ली है और जब से सेवा करने का मौका मिला है, उसी के अनुरुप काम करने की कोशिश कर रहे हैं। संपूर्ण क्रांति के 50 वर्ष पूरे होने पर बड़े पैमाने पर समारोहों के आयोजन को लेकर पत्रकारों के सवाल पर नीतीश ने कहा कि यह बहुत अच्छा विचार है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘सन 1974 में संपूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर पटना के गांधी मैदान में लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी की जनसभा में हमलोग उपस्थित थे। जनसभा में काफी भीड़ उमड़ी थी। हम लोग लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी की समिति में भी थे। हम उनके ही दिखाए मार्ग पर चल रहे हैं।’’
उन्होंने लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी के नेतृत्व में शुरू किये गये आंदोलन में हिस्सा लेने की बात कही। नीतीश ने कहा कि पांच जून को ‘संपूर्ण क्रांति दिवस’ के रूप में मनाने का सिलसिला हमलोगों ने ही शुरू किया था। संपूर्ण क्रांति दिवस के अवसर पर लोग लोक नायक जयप्रकाश नारायण जी के सम्मान में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हैं।
नीतीश ने कहा कि वह चाहेंगे कि संपूर्ण क्रांति के 50 वर्ष पूरा होने के अवसर पर बड़े पैमाने पर कार्यक्रम का आयोजन हो। नीतीश ने कहा कि पांच जून को ही विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, लेकिन हमलोग इस दिन को संपूर्ण क्रांति दिवस के साथ-साथ पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में प्रेम और भाईचारे का भाव होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सब लोगों को अच्छे ढंग से काम करना चाहिए और विकास का काम भी तेजी से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गलत काम किसी को भी नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोक नायक जयप्रकाश नारायण ने भी इन सभी चीजों की सीख दी थी।
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