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रिपोर्ट-मो.सरफराज आलम
सहरसा. इन दिनों कोरोना को लेकर एक बार फिर से लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही है. खासतौर से बच्चों के सेहत को लेकर ज्यादा चिंता व्यक्त की जाती रहती है. लेकिन सहरसा जिला मुख्यालय के एक स्कूल में शिक्षा विभाग और नगर निगम की लापरवाही के कारण पिछले कई वर्षों से बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. शहर भर के गंदे पानी से चारों और से घिरे इस स्कूल में आने वाले बच्चे अक्सर बीमार हो जाते हैं. यही कारण है कि यहां के शिक्षक भी चिंतित रहते हैं. वे बताते हैं कि बच्चों के अक्सर बीमार हो जाने के कारण ही स्कूल में बच्चों की उपस्थिति कम हो जाती है.
17 वर्षों से परेशानी झेल रहे स्कूल के बच्चे
यह स्थिति सहरसा जिला मुख्यालय के प्राथमिक विद्यालय रेलवे कॉलोनी पश्चिमी की है, जो समस्या लगभग 17 सालों से यहां संचालित हो रहा है. इस स्कूल के चारों ओर आपको सालभर गंदा पानी का जमाव और उसमें उगाए जलकुंभी देखने को मिल जाएंगे. काले-काले दिखने वाले इस गंदे पानी से हमेशा दुर्गंध उठते रहती है. इसी दुर्गंध के बीच बच्चे स्कूल में बैठकर पढ़ाई करते हैं. यही नहीं स्कूल के शिक्षकों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी हमेशा इस बात का डर लगा रहता है कि स्कूल के आसपास जमा गंदे पानी में कोई छोटा बच्चा डूब ना जाए.
पूरे शहर का गंदा पानी होता है या डंप
बताया जाता है कि शहर के नाले का गंदा पानी इसी स्कूल के पास आता है. इस वजह से दो कमरे का यह प्राथमिक विद्यालय इसी गंदे पानी के बीच स्थित है. जहां से बदबू आती रहती है. गंदगी होने के कारण स्कूल के पास ही सुअर भी दिनभर मंडराते रहते हैं. जिससे बच्चे भी बीमार पड़ते है. संक्रमण का भी खतरा बना रहता है. इस विद्यालय में एक से लेकर पांचवी कक्षा तक के 180 बच्चों का नामांकन है. परेशानी को लेकर शिक्षिका मेघा कुमारी बताती हैं कि उन लोगों को बाथरूम के लिए दूसरी जगह जाना पड़ता है.
शिकायत पर भी अब तक नहीं हुई कोई पहल
विद्यालय के शिक्षकों द्वारा कई बार इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को दी गई, लेकिन कोई पहल नहीं हुई. प्रभारी प्रधानाचार्य प्रवीण कुमार लाल ने बताया कि जब से हम इस विद्यालय में आए हैं, तब से यह समस्या बनी हुई है. स्कूल की चारदीवारी नहीं है. शहर का गंदा पानी विद्यालय के आसपास डंप किया जाता है. इस कारण पूरा विद्यालय परिसर गंदे पानी के बीच स्थित है. बच्चे बीमार भी पड़ते हैं. उन्होंने बताया कि अगर कोई सूअर मर जाता है तो उसे इसी गंदे पानी में फेंक दिया जाता है. इसके दुर्गंध से बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 25 दिसंबर, 2022, 19:04 IST
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