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रोहतास. पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से रसिया तथा यूक्रेन के बीच तनातनी (Russia-Ukraine Crisis) की स्थिति है, उसके बाद से यूक्रेन पर युद्ध का संकट मंडरा रहा है. अब इस वजह से यूक्रेन में रह रहे बिहार के लोगों की भी चिंता बढ़ गई है. रोहतास के डालमियानगर के रहने वाले डॉ. अमित कुमार पिछले 27 सालों से यूक्रेन में रह रहे हैं. वहां के बिगड़े हालात से वे लोग काफी चिंतित हैं. यूक्रेन से उन लोगों ने वीडियो बनाकर भेजा है. साथ ही बताया है कि भारत की सरकार उन लोगों को भरपूर मदद कर रही है. लेकिन, यूक्रेन की सरकार की मदद के संबंध में वह लोग खुलकर बोलने से बच रहे हैं.
बता दें कि क्रीमिया को लेकर यूक्रेन और रशिया में तनातनी चल रही है. क्रीमिया के प्राकृतिक गैस के भंडार पर रसिया के कब्जा के बाद युद्ध के आसार बने हुए हैं. जिन इलाकों पर स्क्रीन के स्थानीय लोगों की सहानुभूति के कारण रसिया ने कब्जा करना शुरू किया है. उस इलाके में रह रहे भारतीय खासकर बिहारी काफी चिंतित है. उनका कहना है कि धीरे-धीरे तनाव बढ़ता जा रहा है और आने वाले दिनों में भविष्य को लेकर वे लोग काफी सशंकित है. इसलिए तीन दशक से यूक्रेन में रह रहे डॉ. अमित ज्यादा कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं. लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि यूक्रेन की हालात लगातार बिगड़ रहे हैं. जिसको लेकर चिंता बढ़ती जा रही हैं.
भारत सरकार से मिल रही है मदद
यूक्रेन में रह रहे लोगों का कहना है कि भारत सरकार उन्हें भरपूर मदद कर रही हैं. जो लोग वहां से वापस आना चाहते हैं, उनके लिए तमाम तरह की व्यवस्थाएं हैं. लेकिन बहुत से लोग जो कई दशकों से यूक्रेन में रह रहे हैं. वे लोग अपने कारोबार को समेटना नहीं चाह रहे हैं तथा कुछ दिन और हालात के सामान होने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें आशा है कि जल्द ही सब कुछ ठीक-ठाक हो जाएगा. लेकिन, लगातार भारत सरकार से मिल रही मदद से उन्हें राहत मिली है तथा आत्मविश्वास भी बढ़ा है.
अब तक 31,000 सिविलियंस की हो चुकी है मौत
बताया जा रहा है कि इस लड़ाई में अब तक 31 हज़ार से अधिक सिविलियंस मारे जा चुके हैं, 41 सौ से अधिक युक्रेन के सैनिक के अलावे 56 सौ से अधिक प्रो-रसिया सेपरेटर्स की मौत हो चुकी है. हजारों लोग जख्मी भी हैं. बता दें कि वर्ष 1991 में जब रसिया का विघटन हुआ. उसके बाद यूक्रेन सहित 14 देश बिखड़ कर सामने आए. रसिया का प्राकृतिक गैस का भंडार अब यूक्रेन में चला गया. लेकिन, बाद में वर्ष 2014 में रसिया ने यूक्रेन के प्राकृतिक गैस के भंडार क्रीमिया पर कब्जा कर लिया. विवाद तभी से गहरा रहा है. लेकिन जिस तरह से यूरोपीय देश यूक्रेन को मदद कर रही है. उसके बाद कहीं ना कहीं युद्ध के आसार और बढ़ते जा रहे हैं. इस परिस्थिति में यूक्रेन में रह रहे बिहारियों की चिंता बढ़ गई है.
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