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जिस आरोप में नोटिस, उसी पर चार दिन बाद फिर गरजे सुधाकर सिंह।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
2022 में राज्य सरकार में मंत्री बनने के कुछ ही दिन बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जुबानी हमले के कारण मंत्रिमंडल से बाहर किए गए सुधाकर सिंह को लेकर अब कभी भी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की ओर से कड़ा फैसला आ सकता है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पिता जगदानंद सिंह के जरिए ही संभवत: यह कार्रवाई हो। सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर जुबानी हमले के कारण राष्ट्रीय प्रधान महासचिव की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के निर्देश पर 17 जनवरी को कारण बताओ नोटिस (So Cause) जारी किया गया था। इसके बावजूद 21 जनवरी को भोजपुर में एक कार्यक्रम के दौरान सुधाकर सिंह ने नाम लिए बगैर मुख्यमंत्री को न केवल बार-बार पलटने वाला कहा, बल्कि यह भी कहा कि उनके चार बार गठबंधन बदलने के बावजूद बिहार की तकदीर नहीं बदली। राज्य में राजद-जदयू मुख्य घटक के साथ महागठबंधन की सरकार में सुधाकर सिंह के बयानों से दोनों ही दल असहज रहे हैं।
बाकी समझ गए कि बोलने का हक सिर्फ तेजस्वी को
बिहार सरकार में जदयू को कुछ कहने पर चलेगा भी, लेकिन मुख्यमंत्री को लगातार इस तरह बोलना असहज करने वाला ही है। जदयू इसपर लगातार आपत्ति जता रहा है। भाजपा महागठबंधन को सवालों के घेरे में रख रही है। और, राजद के अंदर सुधाकर सिंह पर कार्रवाई नहीं होने से बाकी नेता भी कुछ न कुछ बोल रहे थे। 17 जनवरी की रात जब सुधाकर सिंह पर नोटिस जारी हुआ तो ‘अमर उजाला’ ने साफ बताया था कि इस नोटिस के जरिए राजद के बाकी नेताओं को भी चुप रहने की सीख दी गई है और याद दिलाया गया है कि बोलने का हक सिर्फ तेजस्वी यादव के पास है। नोटिस के बाद सारे नेता चुप हो गए। यहां तक कि जदयू के वरिष्ठ नेता गुलाम रसूल बलियावी के शहरों को कर्बला बना देने के बयान पर भी राजद की ओर से सिर्फ तेजस्वी यादव ने बयान दिया। लेकिन, सुधाकर सिंह नहीं माने। 15 दिन में शो कॉज का जवाब देना है, लेकिन चार दिन गुजरते ही फिर जुबानी बम पटक दिया। राजद की ओर से इसपर कुछ कहा नहीं जा रहा है, लेकिन यह बात अब जरूर चल रही है कि पार्टी के आंतरिक कानूनों के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश का उल्लंघन करने और शोकॉज के बावजूद महागठबंधन के नेता के खिलाफ बयान देने के आरोप में सख्त कार्रवाई की तलवार कभी भी चल सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि कार्रवाई की तलवार संभवत: प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पिता जगदानंद सिंह को ही चलानी पड़े ताकि और कड़ा संदेश जाए।
सुधाकर पर इन पंक्तियों के कारण गिरेगी गाज
महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि के अवसर पर आरा में आयोजित शौर्य दिवस कार्यक्रम के दौरान शनिवार को सुधाकर सिंह ने किसानों की हालत और कृषि समस्याओं पर चिंता जाहिर करते हुए अपनी ही महागठबंधन सरकार पर जमकर हमला बोला है। सुधाकर सिंह ने बिहार में कृषि कानून लागू करने और कृषि मंडी कानून को किसान हित में लाने की मांग की। मांग तक तो ठीक, लेकिन आगे उन्होंने बिना नाम लिए महागठबंधन के मुखिया और बिहार के मुख्यमंत्री पर कटाक्ष किया- “विशेष राज्य के नाम पर रोज दल बदलने और दिल्ली की सरकार के सामने कटोरा लेकर भीख मांग रहे…” उन्होंने कहा- “17 साल में एक व्यक्ति के द्वारा चार बार कुर्सी छोड़ी गई और चार बार गठबंधन बदला गया। व्यक्ति वही रहा और पद भी वही। केवल गठबंधन बदलते रहे और नहीं बदली तो सिर्फ बिहार की तकदीर।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजद की नीति-सिद्धांत और विचार से कोई सहमति नहीं होने के बावजूद साथ लेकर उस व्यक्ति ने सत्ता अपने हाथ रखी। उन्होंने शो कॉल का जिक्र नहीं किया, लेकिन अपना दर्द भी बताया- “जब भी किसानों की हित में कुछ भी बोलते थे तो सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों के दबाव में चुप कराया जाता रहा, लेकिन नीति-सिद्धांतों से समझौता करना मेरी फितरत में नहीं। बेबाकी से बात रखते आए हैं। उन्होंने सरकार के खिलाफ किसानों के आंदोलन को भी रुख दिया- “अपने हक-हुकूक की लड़ाई जन आंदोलन के तहत लड़नी चाहिए। अगर 13 दिन लोग धरने पर बैठ जाएं तो कृषि के साथ-साथ अन्य सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, क्योंकि सरकारें डरती हैं तो सिर्फ जन आंदोलन से।”
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