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महंगाई के मोर्च पर राहत के बाद सरकार कीमतों को नियंत्रित करने के बजाय अब आर्थिक वृद्धि दर पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। ऐसे में आरबीआई भी 6 से 8 फरवरी के बीच होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नीतिगत दरों को बढ़ाने की रफ्तार रोक सकता है। इससे विकास दर गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
अधिकारियों ने कहा, वैश्विक मंदी की आशंका से आर्थिक सुधारों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। ऐसे में और सहायता देने की जरूरत को लेकर सरकार में चिंता बढ़ रही है। इसके अलावा, एमपीसी के 6 सदस्यों में दो भी वृद्धि दर के समर्थन के पक्ष में हैं। आरबीआई इस साल मई से रेपो दर में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है।
विकास दर को लेकर बढ़ने लगी चिंता
एक अधिकारी ने कहा, सरकार ने महंगाई के खिलाफ अपनी लड़ाई में आरबीआई का समर्थन किया है। कच्चे तेल सहित अन्य वस्तुओं की कीमतों को कम करने के लिए भी कई उपाय किए हैं। हालांकि, अब विकास दर को लेकर चिंता बढ़ने लगी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कह चुकी हैं कि हम आम लोगों की खातिर महंगाई को और नीचे लाएंगे। सरकार जरूरी वस्तुओं की कीमतों की स्थिति पर लगातार नजर रख रही है।
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