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रिपोर्ट- विक्रम कुमार झा
पूर्णिया.सामाजिक जागरूकता से ही कालाजार यानि काला ज्वर जैसे रोगों पर काबू पाया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि हम स्वास्थ्यकर्मियों की उस पौध को इसकी संपूर्ण जानकारी दें, जो समाज के निचले पायदान पर काम कर रहे या लोगों के साथ जिनकी सीधी पहुंच है. यह बातें कालाजार उन्मूलन के लिए सामाजिक जागरूकता पर रूरल मेडिकल प्रेक्टिशनर आरएमपी चिकित्सकों के लिए केनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सभागार में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण के मौके पर जिला वेक्टर नियंत्रण रोग पदाधिकारी डॉ राजेन्द्र प्रसाद मंडल ने कही. उक्त कार्यक्रम में मलेरिया इंस्पेक्टर रविनंदन सिंह, स्वास्थ्य प्रबंधक विभव कुमार, केटीएस राजेश कुमार, सीफार की जिला समन्वयक ज्योति प्रिया, प्रखंड समन्वयक दीप सेन एवं प्रखंड के आरएमपी चिकित्सक उपस्थित हुए. प्रशिक्षण के दौरान कालाजार उन्मूलन को लेकर विस्तृत चर्चा व जनजागरूकता पर बल दिया गया. इस बीमारी की रोकथाम को लेकर आवश्यक जानकारी भी दी गई.
समुदाय में फैलाएंगे जागरूकता ख़त्म करेंगे कालाजार
आपके शहर से (पूर्णिया)
जिला वेक्टर नियंत्रण रोग पदाधिकारी डॉ. आरपी मंडल ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि समुदाय के बीच काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी कालाजार बीमारी के लक्षण, उससे बचने के उपाय और बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में आरएमपी चिकित्सकों को जागरूक करेंगे. ये लोग लोगों को बताएंगे कि बरसात के दिनों में कुछ सावधानी बरतकर आप सभी लोग कालाजार जैसी बीमारी से कुछ बचने के साथ ही अन्य लोगों को भी इस बीमारी के दुष्परिणाम से बचा सकेंगे. ये सभी स्वास्थ कर्मी लोगों को मच्छरदानी का नियमित उपयोग करने और अपने घर के आसपास गड्ढों में बरसात का पानी जमा नहीं होने देने की सलाह देंगे, ताकि उस पानी में कालाजार के मच्छर नहीं पनप सके. इसके साथ ही क्षेत्र में छिड़काव के लिए जाने वाली टीम का सहयोग कर घर-घर में छिड़काव करवाने के लिए प्रेरित करेंगे.
वेक्टर जनित रोगों के संबंध में आमलोगों को जानना जरूरी, तभी करेंगे बचाव
मलेरिया इंस्पेक्टर रविनंदन सिंह ने बताया कि लोगों को सबसे पहले वेक्टर जनित रोगों के संबंध व उनके उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम की जानकारी होनी चाहिए. वेक्टर जनित रोग उन्हें कहते हैं, जो मच्छर या मक्खियों के द्वारा किसी गंभीर बीमारी से संक्रमित व्यक्ति से रोगाणु और विषाणु स्वस्थ्य व्यक्ति में काटने के कारण होती है. इनमें कालाजार, डेंगू बुखार, जापानी एन्सेफलाइटिस, मलेरिया आदि शामिल हैं. कालाजार बालू मक्खी के काटने से फैलता है. वहीं, डेंगू बुखार, जापानी इंसेफेलाइटिस, मलेरिया को फैलाने के लिए मच्छर जिम्मेदार होते हैं. इन बीमारियों की पहचान जरूरी है. समय पर इलाज के अभाव में रोग से ग्रसित व्यक्ति की जान भी जा सकती है. इसलिए लोगों को इन बीमारियों के लक्षणों की पहचान जरूरी है.
कालाजार से बचने के लिए दी गई संपूर्ण जानकारी
भीवीडीसी रविनंदन सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में कालाजार की जाँच एवं इलाज की मुफ्त समुचित व्यवस्था उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए जमीन पर नहीं सोएं. मच्छरदानी का नियमित रूप से उपयोग करें. दिन में भी मच्छरदानी लगाकर ही सोएं. पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें.
कालाजार के लक्षण की करें पहचान, तुरंत मिले डॉक्टर से
लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना. वजन में लगातार कमी होना व दुर्बलता. कुपोषण का शिकार होना. खून की कमी हो जाता है. व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा.दिखता है. प्लीहा में नुकसान होने से सहित अन्य संभावित लक्षणों की जानकारी तुरंत डॉक्टर से लें.
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पहले प्रकाशित : 24 फरवरी, 2023, 19:01 IST
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