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जातीय जनगणना।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
पटना उच्च न्यायालय सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) पर होने वाली सुनवाई अब मंगलवार को होगी । इसमें सरकार और याचिकाकर्ता का पक्ष पहली लाइन से ही अलग है। अब हाईकोर्ट इसपर एक शब्द का फैसला- Stay Granted या Stay Refused दे सकता है। मुख्य न्यायाधीश कृष्णन विनोद चंद्रण और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ के सामने दो तरह की बातें हैं।
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सरकार का पक्ष
- नाम- यह जाति आधारित गणना है। यह एक तरह का सर्वे है, ताकि राज्य के लोगों की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके।
- लक्ष्य- सरकारी योजनाओं और सुविधाओं में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह जानना जरूरी है कि किस जाति के कितने लोग हैं, उनकी शैक्षणिक योग्यता, आय, पारिवारिक संपन्नता कैसी है?
खिलाफ में दलील
- नाम- सरकार जाति आधारित गणना बताकर हर आदमी की गिनती कर रही है। यह जनगणना है। जनगणना का अधिकार केंद्र सरकार का है।
- लक्ष्य- सरकार समाज को बांट रही है। इससे अराजकता और बढ़ेगी। संख्या बल में मजबूत होकर उभरी जातियां वर्चस्व के लिए कम संख्या वालों को दबाएगी।
केस की स्थिति
- यह याचिका सुप्रीम कोर्ट से दूसरी बार लौटी है। पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने इसे राज्य के अंदर का मामला बताते हुए खारिज किया था। याचिकाकर्ता हाईकोर्ट आए। तारीख-दर-तारीख जब 30 अप्रैल के बाद की तारीख दी गई तो याचिकाकर्ता फिर सुप्रीम कोर्ट गए कि Bihar Caste Census खत्म होने के बाद दी गई तारीख का कोई अर्थ नहीं रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में जल्दी सुनवाई के लिए अपील करें, तीन दिन के अंदर सुनवाई होगी। पहले 04 मई की तारीख थी, अब 01 मई को सुनवाई हो रही है।
संभावना
- हाईकोर्ट जाति आधारित जन-गणना को रोकने या नहीं रोकने का आदेश दे सकता है। दोनों ही स्थिति में सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खुले रहेंगे। याचिकाकर्ताओं ने पहले हाईकोर्ट के रास्ते सुप्रीम कोर्ट की दौड़ नहीं लगाई थी, इसलिए केस लौटा दिया गया था। अब हाईकोर्ट अगर याचिकाकर्ताओं की ओर से जाति आधारित जन-गणना पर रोक की अपील खारिज करता है तो इस पक्ष को सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प रहेगा। इसी तरह अगर सरकार के खिलाफ फैसला आता है तो वह भी सुप्रीम कोर्ट जा सकती है।
दिग्गज किरदार
- सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से जाने-माने एडवोकेट मुकुल रोहतगी हैं। पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की दलील पर भी उनका प्रभाव है। सुप्रीम कोर्ट से एडवोकेट अपराजिता सिंह पटना में हाईकोर्ट अधिवक्ता दीनू कुमार के साथ हैं। दूसरी तरफ दोनों जगह सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पी. के. शाही रख रहे हैं। शाही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी हैं। वह नीतीश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
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