Home Bihar Patna Book Fair: मुगल और अंग्रेज काल से भी ज्यादा समाज को तोड़ा जा रहा है, पटना पुस्तक मेला में बोले लेखक आलोक धन्वा

Patna Book Fair: मुगल और अंग्रेज काल से भी ज्यादा समाज को तोड़ा जा रहा है, पटना पुस्तक मेला में बोले लेखक आलोक धन्वा

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Patna Book Fair: मुगल और अंग्रेज काल से भी ज्यादा समाज को तोड़ा जा रहा है, पटना पुस्तक मेला में बोले लेखक आलोक धन्वा

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पटना: बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में आयोजित पटना मेला में पहुंचे प्रसिद्ध लेखक अशोक धन्वा ने आज के भारत की हालत मुगल और अंग्रेजो के जमाने से भी खराब बताया है। नवभारत टाइस्म.कॉम के साथ बातचीत में मुंगेर के रहने वाले लेखक अशोक धन्वा ने कहा, ‘आज किसी ने किसी के 35 टुकड़े कर दिए, किसी ने गैंगरेप करके उसे जला दिया, ये चाहे जितनी घटनाएं फिल्म या न्यूज के जरिए आए उसका खराब असन नौजवानों पर हो रहा है। जो नेशनल हार्मोनी थी, जो सांप्रदायिक सद्भाव था, उसको कितना तोड़ा जा सकता है, वह प्रयास हो रहा है। मैं तो यहां तक कहूंगा कि जब यहां अंग्रेज या मुगल थे उस जमाने में भी इतना नहीं तोड़ा गया।’ ये लाइनें कहते हुए लेखक धन्वा भावुक हो गए।

प्रसिद्ध लेखक धन्वा ने कहा कि आज के युवा वर्ग को स्वीधनता संग्राम के बारे में पढ़ना चाहिए। आलोक धन्वा ने कहा कि आज समाज का सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ा जा रहा है। स्वाधीनता संग्राम में जिन मुल्यों को तैयार किया गया आज उन्हें तोड़ा जा रहा है। स्वाीधनता के 75 साल मनाए जा रहे हैं, लेकिन जवाहरलाल नेहरु, महात्मा गांधी का कहीं नाम नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली पर पुर्नविचार करने की जरूरत है। साथ ही यह भी देखना होगा कि समाज में जितनी भयावह घटनाएं घट रही हैं, जिसके चलते बच्चा चाहे जितना साइलेंट हो उसके अवचेतन पर खतरनाक असर हो रहा है।

लेखक आलोक धन्वा ने कहा कि बच्चों को किताबों से हर हाल में जोड़े रखना होगा। उन्होंने कहा कि आज चौथी क्लास से ही बच्चों की पीठ पर सिलबेस की किताबों का बोझ लाद दिया जाता है। इस वजह से वह सिलेबस से हटकर ज्ञानअर्जन के लिए किताबें नहीं पढ़ पाते हैं। पहले के दौर में मैट्रिक तक बेहद कम किताबें होती थी, जिससे बच्चों की रूचि किताबों में बनी रहती थी। साथ ही उन्होंने बच्चों को सलाह दी कि उन्हें हर हार में भारतीय स्वाधीनता संग्राम का इतिहास पढ़ना चाहिए। देश के युवाओं को स्वाधीनता संग्राम के मूल्यों के बारे में जानना चाहिए। आलोक धन्वा जी ने यह भी बताया कि पटना पुस्तक मेला 2022 में ज्ञानपीठ, वाणी प्रकाशन और राजकमल प्रकाशन ये तीन पब्लिकेशन ऐसे हैं जिनके स्टॉल पर अच्छी किताबे हैं।

पुस्तक मेला में धार्मिक किताबों को लेकर टेंशन में लेखिका निवेदिता झा

वहीं पटना पुस्तक मेला में पहुंची वरिष्ठ पत्रकार निवेदिता झा कम्युनल किताबों को लेकर चिंतित दिखीं। पटना पुस्तक मेला में कहीं कम्युनल किताबें मुफ्त में बांटी जा रही है तो कहीं बेहद सस्ती दरों पर बेची जा रही है। क़ुरआन महज 30 रुपये में दी जा रही है। वहीं गीता प्रेस भी सस्ती दरों पर कुछ किताबें उपलब्ध करा रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका निवेदिता झा ने कहा कि पटना पुस्तक मेला अच्छे प्रकाशकों को बुलाने के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन इस बार इसकी कमी दिख रही है। ऐसा क्यों है इसकी वजह आयोजक ही बता पाएंगे। उन्होंने कहा कि पटना पुस्तक मेला में कम्युनल किताबें बहुतायत दिख रही हैं। ये किताबें बेहद सस्ती हैं। इस वजह से युवा इनकी ओर खींच रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है।

बता दें कि सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) की ओर से आयोजित पटना पुस्तक मेला गांधी मैदान में चल रहा है। इस साल मेला परिसर में बने ब्लॉक का नाम बिहार के ऐतिहासिक शहरों के नाम से रखा गया है। ‘मोबाइल छोड़िए किताब पढि़ए’ थीम पर आयोजित इस मेले में देश के लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार, लेखक, कवि और पत्रकार आ रहे हैं। तीन सालों से यह पुस्तक मेला विभिन्न कारणों से आयोजित नहीं हो रहा था। ज्ञान एवं संस्कृति का महाकुंभ पटना पुस्तक मेला 2 से 13 दिसंबर तक गांधी मैदान में हो रहा है। इस बार मुख्य प्रवेश द्वार का नाम पाटलिपुत्र द्वार रखा गया है। मुख्य मंच बोधगया मंच, प्रशासनिक भवन का नाम राजगृह प्रशासनिक भवन, सेमिनार हॉल का नाम नालंदा रखा गया है। इस बार मेला परिसर में तीन प्रखंड होंगे, जिनके नाम क्रमश: सीतामढ़ी ब्लॉक, मधुबनी ब्लॉक, भागलपुर ब्लॉक रखा गया है।

पटना पुस्तक मेले में पुस्तकों का यह संसार करीब 70 हजार वर्गफुट में बसा है। इसमें प्रमुख रूप प्रभात प्रकाशन, राजकमल, वाणी प्रकाशन, प्रतियोगिता दर्पण, नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज, मिन्हाज पब्लिकेशन, मर्कजी मर्तबा इस्लामी पब्लिशर्स, साहित्य अकादमी, जनगणना कार्य निदेशालय बिहार गृह मंत्रालय भारत सरकार, ओसवाल सहित कई प्रकाशन की किताबें उपलब्ध हैं।

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