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शैबाल गुप्ता का पिछले साल 28 जनवरी को 67 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। एक प्रसिद्ध सामाजिक वैज्ञानिक होने के अलावा, उन्हें एक संस्था-निर्माता के रूप में जाना जाता था। पटना में एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (ADRI) की स्थापना उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। वो सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस (सीईपीपीएफ) के निदेशक थे, जिसे बिहार सरकार ने आद्री में सार्वजनिक वित्त पर रिसर्च के लिए एक समर्पित केंद्र के रूप में स्थापित किया है। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज, ससेक्स के साथ विभिन्न शोध परियोजनाओं पर भी काम किया।
वीरायतन की चंदनाजी को भी पद्म सम्मान
दूसरी ओर 84 वर्षीय आचार्य चंदनाजी का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था लेकिन उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा बिहार में सामाजिक कार्यों में बिताया है। आचार्य चंदनाजी, जिन्हें प्यार से ‘ताई महाराज’ भी कहा जाता है, 1973 में राजगीर में जैन धर्म के सिद्धांतों पर आधारित एक धार्मिक संगठन वीरायतन की संस्थापक हैं। वो 1987 में ‘आचार्य’ की उपाधि प्राप्त करने वाली पहली जैन महिला भी बनीं। चंदनाजी पिछले 53 साल से लोगों की सेवा कर रही हैं। हर साल उनके जन्मदिन के मौके पर वीरायतन में शिविर लगाकर सैकड़ों लोगों के आंखों का मुफ्त ऑपरेशन किया जाता है ।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुशी जाहिर की
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शैबाल गुप्ता और आचार्य चंदनाजी को प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। सीएम कार्यालय की ओर से मंगलवार शाम जारी एक बयान में सीएम नीतीश ने कहा कि वो शैबाल गुप्ता को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर खुश हैं। मुख्यमंत्री ने आचार्य चंदनाजी को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए भी बधाई दी।
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