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कैसे और कहां हुई वंदे भारत पर पथराव की घटना
न्यू जलपाईगुड़ी से हावड़ा जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस पर शुक्रवार की देर रात असामाजिक तत्वों ने पथराव किया। वंदे भारत एक्सप्रेस जब कटिहार डिवीजन के दालखोला स्टेशन से गुजर रही थी, तभी कोच नंबर 6 में बैठे यात्रियों को जोरदार आवाज सुनाई पड़ी। यात्रियों ने देखा कि दाहिनी ओर की एक खिड़की में दरार है। भय से सहमे यात्रियों ने ट्रेन के एस्कॉर्ट पार्टी को इसकी सूचना दी। आरपीएफ के सीनियर सेक्योरिटी कमिश्नर कमल सिंह ने इस घटना की पुष्टि की और बताया कि दालकोला आरपीएफ पोस्ट के तहत तलता रेलवे स्टेशन के पास वंदे भारत एक्सप्रेस के यात्रियों ने एस्कॉर्ट पार्टी को घटना की जानकारी दी। घटनास्थल कटिहार जिले के बलरामपुर थाना क्षेत्र में आता है। आरपीएफ इंस्पपेक्टर ने मामले की जांच की है। एसपी से इस संबंध में बातचीत हुई है। जल्दी ही आरोपी गिरफ्तार किये जाएंगे।
तीसरी बार हुआ है वंदे भारत एक्सप्रेस पर पथराव
अब तक की सबसे तेज गति से चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस पर देश के कई राज्यों में पथराव की घटना सामने आ चुकी है। पश्चिम बंगाल के हावड़ा और न्यू जलपाईगुड़ी के बीच 30 दिसंबर 2022 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उस दिन इसे हरी झंडी दिखाई थी, जिस दिन उनकी मां का निधन हुआ था। ट्रेन शुरू होने के दो दिन बाद ही मालदा के पास पथराव की घटना हुई थी। इस पर फिर एक बार पथराव हुआ है।
पथराव का ठीकरा ममता ने बिहार पर फोड़ा था
वंदे भारत भारत एक्सप्रेस ट्रेन पर पथराव की घटनाओं के बाद बिहार-बंगाल के बीच सियासत भी होती रही है। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने दूसरी बार पथराव की घटना होने पर कहा था कि जिस इलाके में ये घटनाएं हुईं, वे बंगाल में नहीं, बिहार में हैं। संयोगवश तीसरी घटना भी बिहार के इलाके में ही हुई है। दो बार तो किशनगंज इलाके में वंदे भारत पर पत्थर फेंके गये थे। पहले मीडिया रिपोर्ट में पत्थरबाजी की घटनाएं पश्चिम बंगाल में बतायी गयी थीं। इससे ममता बनर्जी की किरकिरी होने लगी थी।
माना ये जा रहा था कि केंद्र सरकार से ममता के अनबन के कारण बंगाल में ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। बाद में ममता बनर्जी ने इस पर अपना पक्ष रख कर हकीककत बतायी और तब सियासी गलियारे में सनसनी फैल गयी थी। ममता ने कहा था कि शायद बिहार के लोगों को वंदे भारत ट्रेन नहीं मिली, इसीलिए वहां के लोग पत्थर फेंक नाराजगी का इजहार कर रहे हैं। उल्टे में बंगाल को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि बिहार को ये ट्रेन इसलिए शायद नहीं मिली कि वे लोग भाजपा को वोट नहीं देते हैं।
अभी तक बिहार से नहीं आयी है कोई प्रतिक्रिया
बिहार के इलाके में इस ट्रेन पर पथराव की तीसरी घटना के बाद बिहार सरकार ने चुप्पी साध ली है। ममता के बयान के बाद सियासी हलचल जरूर हुई थी, लेकिन इस बार खामोशी है। शायद इसलिए भी कि तब ममता ने इसका ठीकरा बिहार पर फोड़ा था, इस बार आरपीएफ ने बिहार में पथराव की बात खुद स्वीकारी है। जो भी हो, आम आदमी की सहूलियत के लिए चलने वाली इस ट्रेन पर पथराव की घटना न तो विरोध का सभ्य तरीका है और न इससे किसी का मकसद ही पूरा होने वाला है। ये निहायत शरारती कदम है। पत्थरबाजी के लिए जिस तरह कश्मीर की बदनामी हुई, उसी तरह बिहार की हो रही है। वैसे तो ये आसान नहीं कि कुछ पत्थरबाजों की वजह से इसका परिचालन रोक दिया जाये, लेकिन इतना तो साफ हो ही गया है कि ये एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है।
वंदे भारत ट्रेन को बनाने में खर्च होते हैं 115 करोड़
16 बोगियों वाली ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस के निर्माण में 110 से 120 करोड़ रुपये की लागत आती है। इन ट्रेनों का निर्माण जितनी अधिक संख्या में होगी, उसकी लागत कम होती जाएगी। अभी जो वंदे भारत ट्रेन बन रही है, उसकी लागत 106 करोड़ रुपये आंकी गयी है। हावड़ा से एनजेपी तक आने-जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस पर शुरुआती पथराव की घटनाओं के बाद उसका परिचालन रोक दिया गया था। कुछ लोगों के खिलाफ मामले भी दर्ज हुए थे और गिरफ्तारी भी हुई थी। बाद में रेलवे ने कड़ी सुरक्षा निगरानी में इसका परिचालन शुरू किया था। उसके बाद ही रेलवे ने ट्रेन में पुलिस बल की तैनाती की व्यवस्था की थी। वंदे भारत आने वाले दिनों में कुछ और रूट पर चलाने की सरकार की योजना है।
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