Home Bihar Opinion: नीतीश कुमार फिर से पाला बदलने की तैयारी में? आरजेडी पर जेडीयू के हमलावर होने के क्या हैं मायने

Opinion: नीतीश कुमार फिर से पाला बदलने की तैयारी में? आरजेडी पर जेडीयू के हमलावर होने के क्या हैं मायने

0
Opinion: नीतीश कुमार फिर से पाला बदलने की तैयारी में? आरजेडी पर जेडीयू के हमलावर होने के क्या हैं मायने

[ad_1]

Chandrashekhar and Nitish Kumar: नीतीश कुमार अपनी छीछालेदर के बावजूद खुद आरजेडी के खिलाफ आक्रामक नहीं दिखते। उल्टे उनकी पार्टी जेडीयू के तमाम छोटे-बड़े नेता आरजेडी पर हमला बोलने से नहीं चूक रहे। आखिर क्या है नीतीश कुमार के मन में। कहीं फिर वह पाला बदल की जुगत में तो नहीं।

Nitish-kumar

हाइलाइट्स

  • आरजेडी कोटे के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस पर दिया है विवादित कॉमेंट
  • जेडीयू के कई नेता लगातार चंद्रशेखर को मंत्री पद से हटाने की मांग कर रहे
  • तेजस्वी यादव चंद्रशेखर को लेकर गोलमोल जवाब दे रहे हैं
  • सीएम नीतीश ने तेजस्वी यादव पर टाल दी है बात
ओमप्रकाश अश्क, पटना: बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर की रामचरित मानस पर टिप्पणी को लेकर जेडीयू और आरजेडी के बीच तनातनी रोज ब रोज बढ़ती जा रही है। जेडीयू चंद्रशेखर के खिलाफ कार्रवाई के लिए आरजेडी पर हमलावर है। तेजस्वी यादव की नजर में चंद्रशेखर संवैधानिक अधिकार के तहत ही बोल रहे हैं। वह कह रहे कि संविधान में सबको बोलने की आजादी मिली है। सीएम नीतीश कुमार सर्व धर्म समभाव का राग तो अलाप रहे हैं, लेकिन मंत्री के कुबोल से असमत होने के बावजूद खुद उनके खिलाफ ऐक्शन से कतरा रहे हैं। दोनों ओर से गेंद एक दूसरे के पाले में डाला जा रहा है। आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव ने तो जेडीयू नेताओं को साफ बता दिया है कि नीतीश कुमार के काम में आरजेडी अड़ंगा नहीं डालता। नीतीश कुमार सीएम हैं। किसी मंत्री को रखने या हटाने का उन्हें अधिकार है। सुधाकर सिंह और कार्तिकेय को मंत्री पद से नीतीश हटा सकते हैं तो वे चंद्रशेखर को भी हटा सकते हैं। उनके काम में आरजेडी बाधक नहीं बनेगा।

चंद्रशेखर के खिलाफ ऐक्शन की मांग जेडीयू नेता लगातार कर रहे

यह भी आश्चर्य की बात है कि जेडीयू के नेता चंद्रशेखर के खिलाफ कार्रवाई के लिए आरजेडी पर लगातार दबाव बना रहे, लेकिन अपने ही दल के नेता सीएम नीतीश कुमार को वह कुछ नहीं बोल रहे, जिन्हें चंद्रशेखर को मंत्री पद से हटाने का पूरा अधिकार है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा समेत जेडीयू के अन्य नेता लगातार चंद्रशेखर के बयान की आलोचना कर रहे। उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए अपने नेता नीतीश के अंदाज में आरजेडी पर ठीकरा फोड़ रहे। इधर नीतीश कुमार अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए चंद्रशेखर को हटाने से परहेज कर रहे हैं। यह समझ से परे है कि नीतीश ऐसा क्यों कर रहे।

नीतीश क्यों नहीं कर रहे चंद्रशेखर के खिलाफ शक्ति का इस्तेमाल

सबसे बड़ा सवाल है कि नीतीश कुमार की आखिर क्या मजबूरी है कि वह चंद्रशेखर को हटाने में अपनी शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर रहे। दरअसल, उन्हें आरजेडी की नाराजगी का भय है। वैसे भी आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी, सुधाकर सिंह और एक अन्य विधायक मुखर होकर नीतीश कुमार के खिलाफ बोलते रहे हैं। अपनी छीछालेदर देख कर भी नीतीश खामोश रहे। उन्होंने इस मामले में कुछ करने का जिम्मा आरजेडी पर छोड़ दिया। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने औपचारिकता निभायी और कह दिया कि ऐसे बयान देने वाले बीजेपी के एजेंट हैं। वे बीजेपी को मजबूत कर रहे हैं। उनके खिलाफ आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्णय लेंगे। दोनों ओर से औपचारिकता का निर्वहन कर लिया गया। चलिए, यह मान लेते हैं कि आरजेडी विधायकों की टिप्पणी पर कोई कार्रवाई नीतीश नहीं कर सकते, लेकिन उनके किसी मंत्री का आचरण उन्हें अच्छा नहीं लग रहा तो वे उन्हें हटा तो सकते ही हैं। नीतीश ऐसा नहीं करेंगे। वह आरजेडी को नाराज करने से बचेंगे। इसलिए कि आरजेडी की बैसाखी के सहारे ही उनकी कुर्सी सलामत है।

नीतीश कुमार अनुकूल अवसर आने का अभी इंतजार करेंगे

नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि वे कौन सा कदम कब उठायेंगे, उनके अलावा कोई नहीं जानता। लालू प्रसाद यादव उनके बारे में उनके इसी गुण के कारण अक्सर कहा करते थे कि नीतीश के पेट में दांत है। दांत दिखते नहीं, लेकिन काट लेते हैं। उनके 17 साल के कार्यकाल में तीन ऐसे अवसर आये हैं, जब किसी को भनक तक नहीं लगी और उन्होंने पाला बदल लिया। पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश ने बीजीपी की ओर से नरेंद्र मोदी को पीएम फेस घोषित करने पर बीजेपी का साथ छोड़ दिया था। 2015 में उन्होंने आरजेडी से हाथ मिला लिया। 17 महीनों में ही चुपके से आरजेडी को अकेला छोड़ वे बीजेपी के साथ चले गये। इस बार भी बीजेपी को छोड़ आरजेडी से उन्होंने नजदीकी बढ़ायी तो किसी को भनक नहीं लगी कि अब वे आरजेडी की बैसाखी के सहारे सरकार चलायेंगे। अब आरजेडी के नेता जब उनकी बखिया उधेड़ रहे या उनकी विचारधारा का मखौल उड़ा रहे तो ऐसे में वे फिर नया साथी तलाश लें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

बीजेपी में नीतीश कुमार ने पहले से ही छोड़ रखे हैं दूत

नीतीश कुमार का लंबा कार्यकाल बीजेपी के साथ ही बीता है। इसलिए उन्हें बीजेपी के साथ जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। बीजेपी को भी नये साथियों की तलाश है। उसे नीतीश के आने से ही खुशी ही होगी। बीजेपी का साथ छोड़ने के बावजूद उन्होंने अपने दूत उस खेमे में छोड़ रखे हैं। जेडीयू कोटे से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सबंधों को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कड़ी बन सकते हैं। उपेंद्र कुशवाहा अगर सच में नीतीश के हितैषी हैं तो वे भी दोनों के बीच पुल का काम कर सकते हैं। इसलिए कि उनके संपर्क बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से अब भी बने हुए हैं। बीजेपी को भी 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर क्षेत्रीय और छोटे दलों की तलाश है। नीतीश कुमार अब देख चुके हैं कि विपक्षी दलों का नेता बनना उनके बूते की बात नहीं। इसलिए आरजेडी के खिलाफ जेडीयू नेताओं को बोलने की खुली छूट देकर वह उसे कमजोर करने की कोशिश में हैं, ताकि वक्त बेवक्त काम आये।

आसपास के शहरों की खबरें

नवभारत टाइम्स न्यूज ऐप: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप

लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here